कौन है गौरी सावंत: फिल्मों में रूचि रखने वाले लोगों ने ‘ताली’ मूवी के बारे में जरूर सुना होगा। साथ ही ये भी देखा होगा कि ताली मूवी के अंदर एक ट्रांसजेंडर महिला की कहानी को बताया गया है।
ऐसे में यदि आप भी कौन है गौरी सावंत (Gauri Savant Biography) के बारे में जानना चाहते हैं। उनके जीवन की वो कौन सी कहानी थी जिसके चलते आज पूरी दुनिया में उनके ऊपर फिल्म बनाई जा रही है तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए।
कौन है गौरी सावंत?
यदि हम कौन है गौरी सावंत की बात करें तो यह एक ट्रांसजेंडर महिला हैं। जो कि शुरूआत में लड़का थी, लेकिन जब इनके घर वालों को इस बाात का पता चला कि ये जो लड़का हमारे घर पर है वो ना तो लड़की है, ना ही लड़का है तो वो लोग बहुत गुस्सा हुए।
समय के साथ परेशानी इतनी ज्यादा बढ़ती चली गई कि गौरी सांवत को महज 16 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर बाहर निकलना पड़ा। इसके बाद की उनके जीवन की पूरी कहानी को ही आज फिल्म के पर्दे पर दिखाया जा रहा है। जिसका नाम ‘ताली’ वेब सीरीज है। जिसमें गौरी सांवत का किरदार सुष्मिता सेन के द्वारा निभाया गया है।
गौरी सांवत का जीवन परिचय |
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1. |
नाम |
गौरी सांवत |
2. |
पुराना नाम |
गणेश नंदन |
3. |
पिता का नाम |
सुरेश सांवत |
4. |
माता का नाम |
ज्ञात नहीं |
5. |
बेटी का नाम |
गायत्री |
6. |
लिंग |
ट्रांसजेंडर |
7. |
जन्म |
2 जुलाई 1979 |
8. |
जन्म स्थान |
मुंबई महाराष्ट्र |
9. |
उम्र |
44 साल (2024 में) |
10. |
पेशा |
सामाजिक कार्यकर्ता |
11. |
धर्म |
हिन्दू |
12. |
राष्ट्रीयता |
भारतीय |
13. |
शिक्षा |
स्नातक (अनुमानित) |
14. |
विवाह |
अविवाहित |
15. |
जीवन में खास |
ट्रांसजेंडरों के हक की लड़ाई लड़ी |
16. |
फिल्म |
ताली (वेब सीरीज) |
17. |
किरदार निभाने वाली |
सुष्मिता सेन (एक्टर) |
गौरी सांवत का जन्म कब हुआ?
कौन है गौरी सावंत में यदि सबसे पहले इनके जन्म की बात करें तो इनका जन्म पुणे (Pune) जो कि महाराष्ट्र में पड़ता है वहां पर हुआ था। इनके पिता पुलिस में एक अधिकारी के पद पर थे। इनके पिता की एक लड़की पहले से थी। इसके बाद गौरी सांवत का जन्म दूसरे नंबर पर हुआ था।
गौरी सांवत शुरूआत में लड़का थी। इसलिए इनका नाम परिवार ने गणेश सांवत (Ganesh Savant) रखा था। इनके जन्म पर परिवार में बेहद खुशी थी। क्योंकि परिवार में पहला लड़का हुआ था। लेकिन जैसे जैसे समय बीतता गया तो लोगों गणेश सांवत का सच पता चलता गया कि असल में गणेश सांवत एक ‘किन्नर’ है। जो दिखने में लड़कों की तरह है, पर इसके सारे शौक लड़कियों की तरह हैं।
गौरी सांवत की शिक्षा
जैसा कि हमने आपको बताया कि गौरी सांवत असल में एक किन्नर थी। जो ऊपर से लड़का दिखाई देती थी। लेकिन अंदर से एक लड़की थी। यही वजह है कि उनकी शिक्षा में काफी तंगी आई। शुरूआत में जब स्कूल जाना शुरू किया तो उनके साथ किसी तरह की समस्या नहीं आई। क्योंकि स्कूल में किसी ने इतना ध्यान नहीं दिया।
लेकिन जैसे जैसे वो बड़ी हुई तो लोगों ने देखा कि गणेश को तो लड़कियों वाले सारे काम पसंद हैं। ऐसे में लोग उन्हें किन्नर, हिजड़ा और छक्का जैसे शब्दों से जरिए बुलाने लगे। जो कि किसी भी इंसान को पसंद नहीं आते हैं। क्योंकि हमारे समाज में आज भी किन्नर लोगों को सहज ही नहीं स्वीकार किया जाता है। इसके बाद जैसे तैसे करके गौरी सांवत ने स्कूल की शिक्षा पूरी की। लेकिन आगे फिर कॉलेज में भी उनके साथ वहां भी यही हुआ। वहां भी लोग उनका मजाक बनाते। यहां तक कि अध्यापक भी उनकी भावनाओं को नहीं समझ पाते।
परिवार का स्वभाव
कौन है गौरी सावंत के बारे में जब परिवार को पता चला कि असल में ये लड़के के भेष में एक लड़की है तो गौरी सांवत के पिता खूब नाराज हुए। क्योंकि उनकी मां का निधन 7 साल की उम्र में ही हो गया था। लिहाजा अब सारी जिम्मेदारी पिता के कंधों पर ही आ गई थी और पिता एक गुस्से वाले आदमी थे। पिता ने गौरी सांवत से बात करना तक बंद कर दिया था।
पिता को गौरी सांवत ने खूब समझाया लेकिन वो गौरी सांवत की एक भावना को वो भी समझने को तैयार नहीं हुए। क्योंकि गौरी सांवत की वजह से उन्हें भी इस समाज में बदनामी झेलनी पड़ती थी। जो कि उन्हें कतई मंजूर नहीं था। खासतौर पर जब वो एक पुलिस अधिकारी के पद पर थे तो उन्हें ये चीजें ज्यादा महसूस होती थी।
16 साल की उम्र में छोड़ना पड़ा घर
जब गौरी सांवत को लगा कि अब इस घर में उनकी कोई जगह नहीं बची है, ना ही कोई इज्जत कर रहा है। पूरा घर उनके खिलाफ है तो उन्हें मजबूरी में घर छोड़ना पड़ा। क्योंकि असल में गौरी सांवत को लड़कियों की तरह रहना शौक नहीं था, बाल्कि ये उनकी मजबूरी थी। उनके इस मजबूरी के चलते उनके पिता ने उनसे बात करना तक बंद कर दिया था। उनका एक भाई भी था, वो भी उनसे खूब नफरत करने लगा था। क्योंकि उनकी मां का निधन 7 साल की उम्र में ही हो गया था। इसलिए उनका पालन पोषण उनकी दादी ने किया था।
ऐसे में संभव था कि उनकी मां होती तो उनके मन की बात को आसानी से समझ जाती और उन्हें शायद अपना लिया जाता। लेकिन वो तब इस दुनिया से जा चुकी थी। ये सबकुछ देख गौरी सांवत को मजबूरी में एक दिन 60 रूपए लेकर घर से जाना पड़ा। सही मायने में उसी दिन उनके जीवन मं संघर्ष शुरू होता है। क्योंकि घर छोड़ने के बाद उनके पास कोई भी ठिकाना नहीं बचा था। जहां वो सुकून की रात बिता सकें।
गणेश सांवत से गौरी सांवत बनने की कहानी
इसके बाद जब गौरी सांवत ने घर छोड़ दिया तो सीधा सड़क पर आ गई। उन्होंने भरण पोषण के लिए चौराहे पर भीख मांगना शुरू कर दिया। हालंकि, ये सब उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं था। क्योंकि वो खुद मेहनत करके खाना पसंद करती थी।
इसलिए आगे चलकर वो ‘ट्रांसजेंडर समुदाय’ के बीच में चली गई। क्योंकि वो चाहती थी कि वो हमेशा अपना जीवन एक लड़की की तरह ही जिएं। जिसमें उनका पहनावा, सजना संवरना आदि काफी सही से होता रहे। इसके बाद वो मुंबई के दादर में एक ट्रांसजेंडर समुदाय के बीच में गई और वहीं पर रहने लगी।
कुछ समय वहां रहने के बाद वो एक ‘हमसफर’ नाम की संस्था से जुड़ी। जो कि ट्रांसजेंडर लोगों के लिए काम करती थी। उसके साथ काम करके उन्हें काफी अच्छा लगा। इसके बाद उन्हें लगा कि क्यों ना वो लिंग बदलवा लें। इसके बाद उन्होंने अपने प्राइवेट पार्ट की सर्जरी करवा ली। आपको बात दें कि यह एक ऐसी सर्जरी होती है जिससे कोई भी लड़का शारीरिक रूप से लड़की बन सकता है। जबकि कोई भी लड़की लड़का बन सकती है। इस सर्जरी के बाद उन्होंने अपना नाम गणेश सांवत से गौरी सांवत रख लिया। क्योंकि अब वो अंदर से एक लड़की हो गई थी।
पिता ने ज़िंदा होते हुए भी कर दिया था अंतिम संस्कार
गौरी सांवत जब 16 साल की उम्र में घर छोड़कर चली गई थी तो पिता ने ये जानते हुए भी उनका अंतिम संस्कार कर दिया था कि उनकी ट्रांसजेंडर आौलाद अभी ज़िंदा है। इस बात से गौरी सांवत को बेहद दुख हुआ था। लिहाजा उन्होंने जीवन में ठान लिया था कि आगे किसी को ये समस्या ना सहनी पड़े। जिसके बाद से लगातार वो ट्रांसजेंडर और सैक्स वर्करों की मदद कर रही हैं। उनकी मदद का सिलसिला आज काफी विस्तार ले चुका है।
सेक्स वर्कर की बेटी को गोद लेकर मां बनीं
गौरी सांवत ने भले ही अपने लिंग में परिवर्तन करवा लिया। लेकिन वो मां नहीं बन सकती थी। क्योंकि उन्होंने तो 16 साल की उम्र में ही अपना घर छोड़ दिया था। और वैसे भी वो ट्रांजेंडर थी। इसलिए एक बार हुआ यूं कि उनका एक जानकार उनके पास आया और कहा कि एक बार जो उनके पास एक महिला अचार मांगने आई थी उसकी मृत्यु हो गई है।
और जब गौरी सांवत उसके घर पर गई तो देखा कि वहां पर उसकी लाश पड़ी हुई है और दो से तीन लोग उसके पास में बैठे हुए हैं। उनमें से एक कह रहा है कि उस महिला के पास उसके दो लाख रूपए उधार बाकी हैं। वो इंसान उस महिला की 3 साल की लड़की को बेचने की बात कह रहा था। लेकिन इसी बीच गौरी सांवत उसे रोक देती हैं, वो कहती हैं कि उसके महिला के पास 5 लाख रूपए बाकी हैं और इस लड़की को वो ले जाएगी। साथ ही उसके 2 लाख रूपए भी चुका देंगी। जिससे वो इंसान सहमत हो जाता है।
अब वो इंसान इस बात पर राजी हो गया तो गौरी सांवत उस 3 साल की बच्ची को अपने घर पर ले आती हैं। उसकी खूब देखभाल करती हैं और उसका नाम ‘गायत्री’ रखती हैं। लेकिन समस्या तब खड़ी हो जाती है जब उन्हें पता चलता है कि भारत के कानून में ऐसा प्रावधान ही नहीं है कि कोई ट्रांसजेंडर किसी बच्चे को गोद ले सके। इसके लिए वो लंबी कानूनी लड़ाई लड़ती हैं और कानून में बदलाव करवाती हैं। फिर जाकर कानूनी रूप से गायत्री उनकी बेटी बन पाती है।
यदि हम आज की बात करें तो आज गायत्री काफी बड़ी हो गई है। आज उसकी उम्र लगभग 23 से 25 साल हो गई है। साथ ही उसने डॉक्टर की पढ़ाई करके डेन्टिस (Dentist) भी बन चुकी है। इसके अलावा अब भी वो आगे अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए है। खास बात ये है कि गौरी सांवत और गायत्री की आज भी काफी अच्छी बनती है। दोनों मां बेटी की तरह रहती हैं।
KBC में जीते 25 लाख रूपए
गौरी सांवत की लोप्रियता को देखते हुए उन्हें केबीसी के सीजन 9 में भी बुलाया जा चुका है। क्योंकि उन्होंने अपने इस पूरे जीवन में सेक्स वर्करों की खूब सारी मदद की थी और करती आ रही हैं। केबीसी के सीजन 9 में उन्हें कुल 25 लाख रूपए जीतने का मौका मिला था। जिसे वो सेक्स वर्करों की मदद में खर्च करना चाहती थी।
इस पैसे से उन्होंने ‘आजी का घर’ नाम से एक संस्था बनाई थी। जिसके जरिए वो मदद कर सकें। लेकिन अमिताभ बच्चन ने इस संस्था को ‘नानी का घर’ नाम दे दिया। तब से यह संस्थान नानी का घर के नाम से जानी जाती है। साथ ही लोगों के हित में लगातार यह काम कर रही है।
ताली में कैसे नजर आई गौरी सांवत?
गौरी सांवत की इस कहानी को आज वेब सीरीज के माध्यम से पूरी दुनिया देखने जा रही है। क्योंकि मशहूर टीवी कलाकार सुष्मिता सेन एक वेब सीरीज ‘ताली’ बनाने जा रही हैं। जिसके अंदर वो खुद गौरी सांवत की भूमिका निभाने वाली हैं।
फिलहाल वो इस वेब सीरीज के प्रोमो में ताली बजाती हुई नजर आ रही हैं। जिसकी टैग लाइन है ‘ताली बजाउंगी नहीं बजवाऊंगी’ इस वेब सीरीज के बारे में गौरी सांवत कहती हैं कि “मैं बहुत खुश हूं कि आज सुष्मिता सेन जैसे बड़ी एक्ट्रेस मेरे ऊपर वेब सीरीज बना रही हैं। उम्मीद है कि इस वेब सीरीज के माध्यम से दुनिया मुझे जानेगी और ट्रांसजेंडर लोगों की भावनाओं को समझेगी”।
गौरी सांवत के जीवन के खास पहलू
- गौरी सांवत को ट्रांसजेंडर होने की वजह से 16 साल की उम्र में घर छोड़ना पड़ा था।
- गौरी सांवत ने ‘हमसफर’ ट्रस्ट के माध्यम से काफी सारे ट्रांसजेंडर और सैक्स वर्कर महिलाओं की मदद करने का काम किया है।
- कुछ साल पहले गौरी ने विक्स (Vicks) के ऐड में देखा गया था। जिसके बाद उनकी लोकप्रियता बढ़ती चली गई थी।
- गौरी सांवत की बेटी गायत्री को तीन साल की उम्र में कोई बेचने जा रहा था। लेकिन गौरी सांवत ने उसे ऐसा करने से रोका और अपने घर ले आई।
- गौरी सांवत ने ट्रांसजेंडर को बच्चा गोद लेने की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक लड़ी। जो कि 2009 से शुरू हुई थी और 2014 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी।
- मार्च 2019 में चुनाव आयोग ने देश की पहली ट्रांसजेंडर महिला को ब्रांड अम्बेसडर के तौर पर नियुक्त किया था। जो कि गौरी सांवत ही थी।
- गौरी सांवत केबीसी के सीजन 9 में 25 लाख रूपए भी जीत चुकी हैं। जिसके बाद उन्होंने उससे ‘नानी का घर’ नाम से ट्रस्ट बनाया।
- गौरी सांवत आज भी 20 से ज्यादा सैक्स वर्कर महिलाओं के बच्चों की देखभाल करने का काम कर रही हैं। जिसमें उनका खान पान और पढ़ाई का खर्च शामिल है।
- आज गौरी सांवत की उम्र 44 साल की हो गई है। लेकिन उनके घर से आजतक कोई भी इंसान हालचाल पूछने या उनसे मिलने नहीं आया।
- आज गौरी सांवत के जीवन की कहानी को बताने के लिए ‘ताली’ नाम से वेब सीरीज बन रही है। जो कि एक्ट्रैस सुष्मिता सेन बनाने का काम कर रही हैं।
- गौरी सांवत के ऊपर बनी इस वेब सीरीज को आप भी अपने मोबाइल या लैपटॉप की मदद से आसानी से देख सकते हैं। इसलिए इसे जरूर देखें।
गौरी सांवत से हमें क्या सीख मिलती है?
गौरी सांवत आज हमारे देश में अकेली ट्रांसजेंडर महिला नहीं हैं। बस, रेल और चौक चौराहों पर आपने भी अनेकों ट्रांसजेंडर देखे होंगे। साथ ही आपने ये भी देखा होगा कि कैसे लोग उनके आ जाने पर नजरें घुमा लेते हैं। मानो कोई राक्षस उनके सामने आकर खड़ा हो गया है।
लेकिन सच तो ये है कि उन्हें ट्रांसजेंडर बनाने में उनका कोई योगदान नहीं है, ना ही वो ट्रांसजैंडर बनकर खुश हैं। लेकिन ट्रांसजेंडर होने की वजह से ना तो उन्हें कोई काम देता है, ना ही सभ्य समाज में स्थान देता है। इसलिए रेल और बसों में पैसे मांगना उनकी मजबूरी है और आपको भी दिल बड़ा करके उन्हें अपनी हैसियत के अनुसार कुछ जरूर देना चाहिए। इस लेख को पढ़ने के बाद हम उम्मीद करते हैं अगली बार आप भी ट्रांसजेंडर लोगों को वो सम्मान देंगे, सही मायने में जिसके वो हकदार हैं…
FAQ
गौरी सांवत कौन हैं?
दरअसल, गौरी सांवत एक ट्रांसजेंडर महिला हैं। जो कि देखने में पुरूष हैं। लेकिन उनके पहनावे और शौक लड़कियों की तरह हैं। जिससे उन्हें गौरी सांवत कहा जाता है।
गौरी सांवत का बचपन का नाम क्या था?
गौरी सांवत का बचपन का नाम गणेश सांवत था। जो कि उनके माता पिता ने उन्हें लड़का समझकर रखा था। लेकिन असल में अंदर से वो एक लड़की थी।
गौरी सांवत कितनी पढ़ी लिखी हैं?
सुनने में आता है कि गौरी सांवत ने मुंबई से स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। क्योंकि ट्रांसजेंडर होने की वजह से उन्हें हर जगह काफी मजाक का सामना करना पड़ता था, इसलिए वो ज्यादा नहीं पढ़ सकीं।
गौरी सांवत की बेटी का नाम क्या है?
गौरी सांवत की बेटी का नाम ‘गायत्री’ है। जो कि आज 23 से 25 साल की है। साथ ही इसने डॉक्टर की पढ़ाई पूरी कर ली है।
गौरी सांवत की कुल संपत्ति?
गौरी सांवत की कुल संपत्ति कितनी है इसके बारे में हमें कोई खास जानकारी नहीं मिली है। लेकिन उनके साक्षात्कार से लगता है कि उनका सारा पैसा समाज के हित में ही खर्च हो जाता है।
गौरी सांवत का जीवन क्यों अलग है?
गौरी सांवत को 16 साल की उम्र में ही घर छोड़ना पड़ा था। इसके बाद उन्होंने भीख मांगी और आगे चलकर एक संस्था बनाई जिससे वो सैक्स वर्करों की मदद कर सकें।
गौरी सांवत के जीवन पर कौन सी फिल्म बनी है?
गौरी सांवत के जीवन एक वेब सीरीज बनी हुई है। जिसका नाम है ‘ताली’ इस वेब सीरीज के अंदर सुष्मिता सेन गौरी सांवत की भूमिका को निभाती नजर आ रही हैं। इसकी टैग लाइन है ‘बजाऊंगी नहीं, बजवाऊंगी
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Conclusion
आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि कौन हैं गौरी सांवत और गणेश सांवत से कैसे वो गौरी सांवत बन गई। हालांकि, हमें गौरी सांवत के जीवन से हमें ये समझने का मौका मिलता है कि कैसे ट्रांसजेंडर लोग आज हमारे समाज में खुलकर जीवन भी नहीं जी सकते हैं। इसलिए आगे से यदि कोई भी यदि आपको ट्रांसजेंडर दिखाई दे तो उसे तिरक्षी निगाहों की बजाय सम्मान के साथ देखिए। हमारी पूरी टीम आज गौरी सांवत को सलाम करती है…
Disclaimer
गौरी सांवत के जीवन की ये कहानी उनके साक्षात्कार और इंटरनेट पर मौजूद जानकारियों पर आधारित है। हम अपने लेख में दिए नामों और घटनाओं के 100 प्रतिशत सच होने का दावा नहीं करते हैं।