Bal ko Paribhashit karen | बल के प्रकार और परिभाषा

Bal ko Paribhashit karen | बल के प्रकार और परिभाषा

Bal Ky Prakar; बल विज्ञान का एक महत्‍वपूर्ण Chapter होता है। इसे हम स्कूल से लेकर कॉलेज और प्रतियागी परीक्षाओं तक में प्रश्‍नों के माध्‍यम से देखते आए हैं। ऐसे में यदि आप अभी तक बल के बारे में नहीं जानते हैं, तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बल की परिभाषा क्या है? बल कितने प्रकार के होते हैं? बल किसे कहते हैं? Bal ko Paribhashit karen इसलिए इन सब बातों को जानने के लिए चलिए शरु करते हैं बल के प्रकार और परिभाषा।

बल क्‍या होता है? | Bal ko Paribhashit karen

बल विज्ञान का एक शब्‍द है। जब हम आम दिनचर्या में किसी चीज पर किसी तरह का बल लगाते हैं तो उसके अंदर कोई ना कोई परिवर्तन होता है। इस रूप में देख सकते हैं।  बल लगाने के बाद वह चीज या तो हिलती है या किसी दिशा में गति करती है।

इसके अलावा उसके आकार के अंदर कोई परिवर्तन भी आ सकता है। यदि किसी भी चीज के अंदर इस तरह से कुछ हो रहा है तो इसका मतलब उसके ऊपर किसी ना किसी तरह का बल लगाया जा रहा है। हालांकि, कई बार कम बल लगाने से वस्‍तु के अंदर किसी भी तरह का कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिलता है।

बल का मात्रक

यदि हम बल के मात्रक की बात करें तो यह N (Newton) होता है। यानि कि इसे विज्ञान की भाषा में N से परिभाषित किया जाता है। इसे आप विज्ञान की पुस्‍तक और बल के फार्मलों में लिखा देख सकते हैं।

बल का सूत्र

बल को द्रव्यमान (m) और त्वरण (a) के गुणन द्वारा निकाला जा सकता है। बल का सूत्र हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं। जिसे आप देखकर आसानी से समझ सकते हैं।

F = ma

जहाँ,

m = द्रव्यमानa = त्वरण

इसे न्यूटन (N) या Kgm/s2 में निकाला जाता है।

त्वरण “a” को निकालने का सूत्र है, a = v/t

जहाँ

v = वेग T = लिया गया समय

अतः बल को निम्न रूप में परिभाषित किया जा सकता है; F = mv/t

जड़ता सूत्र को p = mv के रूप में लिखा जाता है जिसे संवेग के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।

बल के प्रमुख प्रभाव

यदि किसी भी वस्‍तु पर बल लगाया जाता है तो उसके अंदर उसका कुछ ना कुछ प्रभाव जरूर दिखाई देता है। जो कि बताता है कि इस वस्‍तु पर किसी तरह का बल लगाया जा रहा है। ये बल चाहे किसी भी प्रकार से लगाया गया हो। आइए उन प्रभावों को हम बिुंदुवार समझते हैं।

  • किसी वस्‍तु पर बल लगाए जाने वाले से किसी भी वस्‍तु की दिशा और दशा बदल सकती है।
  • बल के कारण कोई भी वस्‍तु जो पहले विराम अवस्‍था में थी वो अब गति की अवस्‍था में आ सकती है।
  • बल के चलते किसी भी वस्‍तु की गति बढ़ या घट सकती है। यह उस वस्‍तु पर लगने वाले बल के ऊपर निर्भर करता है।
  • यदि कोई वस्‍तु गतित अवस्‍था में है और उसके विपरीत दिशा से बल लगाया जाता है। तो वह बल उस वस्‍तु की गति को रोक भी सकता है।
  • किसी वस्‍तु पर अधिक मात्रा में लगाया गया बल उस वस्‍तु के आकार और आकृति को भी बदल सकता है। खास तौर पर जब वह गति ना करने की स्‍थिति में हो।

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बल के प्रकार

आइए अब हम आपको बल  के प्रकार के बारे में बताते हैं। वैसे तो बल के कई प्रकार होते हैं। लेकिन हम यहां आपको केवल बल के प्रमुख प्रकार के बारे में जानकारी देंगे। जिनके बारे में हम सभी को जानना चाहिए। बलों को भी दो भागों में विभाजित किया गया है। इसलिए पहले हम आपको इनके विभाजन के बारे में बताएंगे। फिर विस्‍तार से उदाहरण सहित प्रत्‍येक बल के बारे में आपको अवतग करवाएंगे।

संपर्क बल

यह उस तरह का बल होता है जिसके अंदर जब तक हम किसी चीज के संपर्क में नहीं आते हैं तो उस पर किसी तरह का बल नहीं लगता है। इस तरह का बल का प्रयोग हम सबसे ज्‍यादा करते हैं। इसके अंदर मुख्‍य रूप से शामिल हैं।

  • पेशी बल
  • यांत्रिक बल
  • घर्षण बल

गैर संपर्क बल

यह उस तरह का बल होता है‍ जिसमें हमारे संपर्क में आने की जरूरत नहीं होती है। यह बल हमारे बिना संपर्क में आए भी लग सकता है। इसे हम केवल देख सकते हैं। इसके अंदर प्रमुख रूप से शामिल हैं।

  • गुरुत्‍वाकर्षण बल
  • विधुत बल
  • चुंबकीय बल

पेशी बल

यह बल का पहला प्रकार है। इसके अंदर वो चीजें शामिल होती हैं। जो कि हम अपनी मासपेशियों से काम करते हैं। जिनसे हमारी मासपेशियों पर किसी तरह का खिंचाव देखने को मिलता है। जैसे कि हम लोग सुबह बिस्‍तर से उठते हैं। चलते और दौड़ते हैं। ये सभी पेशी बल के अंतर्गत कार्य करते हैं। यदि हम नहीं चाहते तो इस तरह का बल नहीं लगता है।

यांत्रिक बल

यह बल दूसरे प्रकार का होता है। इसके अंदर हम अपने हाथों या शरीर से कोई काम करते हैं। जिससे काम होता हुआ दिखाई भी देता है। साथ ही हमारे शरीर पर भी जोर पड़ता है। साथ ही इससे दो वस्‍तुओं के बीच सीधा संपर्क भी होता है। उदाहरण के तौर पर जब हम साइकिल चलाते हैं।

वो उसके अंदर अपने पैरों से पैडिल मारते हैं। पैडिल मारना ही एक तरह से यांत्रिक बल के अंदर आता है। इसी तरह आप दूसरे उदाहरण भी बना सकते हैं। इस तरह से बल लगाने से हमारे शरीर में थकावट महसूस होती है। जिससे हम इस तरह  के बल को लंबे समय तक नहीं लगा सकते हैं।

घर्षण बल

यह तीसरे प्रकार का बल है। इसके अंदर कोई दो वस्‍तु होती हैं। जो कि हमेशा एक दूसरे से रकड़ कर चलती हैं। साथ ही घर्षण बल में हमेशा एक दूसरे के विरीत भी बल लगाया जाता है। जैसे कि हमारी मोटरसाइकिल के टायर सड़क पर रगड़ कर चलते हैं। ऐेसे में हमें उसे आगे बढ़ाने के लिए Race का प्रयेाग करना होता है।

जिससे ईंधन की खपत बढ़ जाती है। यहां घर्षण को कम करने के लिए टायरों को गोल बनाया जाता है। कई जगह घर्षण को कम करने के लिए Lubricant का प्रयोग किया जाता है। घर्षण की खास बात ये होती है कि घर्षण जितना ज्‍यादा होगा उसके अंदर से उतनी ही ज्‍यादा आवाज सुनाई देगी। साथ ही रगड़ के चलते वो चीजें घिसती ही चली जाएंगी। इसलिए घर्षण को कभी भी सही नहीं माना जाता है। इससे ऊर्जा की खपत ज्‍यादा होती है।

गुरुत्‍वाकर्षण बल

यह एक प्राकृतिक बल है जिस के अंदर इंसान का कोई भी योगदान नहीं है। यह हमेशा दो चीजों पर लगता है। जिस चीज का ज्‍यादा गुरुत्‍वाकर्षण बल होगा वह उसे अपनी तरफ खींच लिया करेगी। उदाहरण के तौर पर जब हम क्रिकेट खेलते हैं तो गेंद बल्‍ले से लग कर एक बार तो ऊपर जाएगी, लेकिन फिर से दोबारा नीचे वापिस आ जाती है।

क्‍योंकि पृथ्‍वी का अपना गुरुत्‍वाकर्षण बल होता है। इसलिए वो गेंद को दोबारा अपनी तरफ खींच लेता है। ऐसा इसलिए होता है। क्‍योंकिे आकाश का गुरुत्‍वाकर्षण बल कम होता है। इसलिए यदि यही गेंद हम हम एक निश्चित ऊंचाई पर फैंक दें तो उसे पृथ्‍वी दोबारा कभी अपनी तरफ नहीं खींच पाएगी। गुरुत्‍वाकर्षण बल हर चीज के अंदर के अंदर होता है। बस हम उसे कई बार महसूस नहीं कर पाते हैं। साथ ही यह कभी समाप्‍त नहीं होता है।

विधुत चुंबकीय बल

जब किसी भी तार के अंदर बहुत तेजी से करंट की धारा प्रवाहित की जाती है, तो उसके अंदर चुंबकीय बल आ जाता है। जिससे वह धातुओं को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। इसे आप कबाड़ के बड़े बड़े गोदामों में देख सकते हैं।

वहां पर कबाड़ को उठाने के लिए एक लोहे के चुंबकीय पदार्थ के अंदर विधुत धारा प्रवाहित की जाती है। जिससे सारा कबाड़ विधुत चुंबकीय बल के कारण उससे चिपक जाता है। जबकि फिर उसे उसी तरह से ट्रक के ऊपर ले जाकर विधुत धारा बंद कर दी जाती है। जिससे सारा कबाड़ दोबारा से अलग हो जाता है। इस बल का प्रयोग बेहद ही कम किया जाता है। क्‍योंकि हमारे जीवन में इसका महत्‍व बेहद कम पड़ता है।

चुंबकीय बल

अगले बल का नाम चुंबकीय बल है। इस बल का प्रयोग हमने बचपन में खेलने में कई बार प्रयोग किया है। इसके अंदर एक चुंबक होता है। जो कि लोहे से बनी चीजों को अपनी तरफ खींच लेता है। इसके चुंबकीय प्रभाव का निश्चित क्षेत्र होता है। उस क्षेत्र के अंदर जो भी लोहे की चीज आती है।

उसे वो अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। चुंबक की खास बात ये होती है किे यदि हम इसे स्वतंत्र रूप से लटका दें तो यह उत्‍तर और दक्षिण दिशा की तरफ ही लटकेगा। जिसकी वजह से इसका प्रयोग दिशा सूचक यंत्र में भी किया जाता है। साथ ही यदि हम एक साथ दो चुंबक रखें तो वो केवल एक दूसरे के विरोधी धुरो को ही अपनी तरफ आकर्षित करेंगे। समान ध्रुव हमेशा एक दूसरे से दूर भागते हैं।

Conclusion

आज आपने जाना कि बल के प्रकार और परिभाषा क्‍या होती है। यदि आप Bal ko Paribhashit karen के बारे में जान गए हैं तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं। साथ ही इस लेख को अपने दोस्‍तों के साथ शेयर भी करें।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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