भारत में बजट निर्माण की प्रक्रिया समझाइए | Budget कैसे बनता है?

भारत में बजट निर्माण की प्रक्रिया समझाइए

Budget nirman ki prakriya samjhaie: भारत के अंतर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष खत्म होने के समय हमारे देश के वित्त मंत्री के द्वारा बजट निर्माण का कार्य किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि बजट निर्माण की प्रक्रिया कैसे होती है, या फिर किस तरह से बजट निर्माण की प्रक्रिया को संपन्न किया जाता है। यदि आपको इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है, तथा बजट निर्माण की प्रक्रिया के बारे में जानना चाहते हैं, तो हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से यह सभी जानकारी उपलब्ध करवाने वाले हैं।

आज किस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले हैं कि बजट निर्माण की प्रक्रिया क्या होती है, इसके बारे में विस्तृत जानकारी हम आपको इस पोस्ट में देने वाले हैं, तो ऐसे में इस पोस्ट को आप को अंत तक जरूर करना चाहिए।

बजट (Budget) क्या है?

Budget भविष्य के लिये की गई वह योजना है जो, पूरे साल की राजस्व व अन्य आय तथा खर्चो का अनुमान लगा कर बनाई जाती है। बजट के द्वारा वित्त मंत्री सरकार के समक्ष अपनी व्यय का अनुमान लगा कर, आने वाले वर्ष के लिये कई योजनायें बना कर, जनता के सामने हर वित्तीय वर्ष के दौरान प्रस्तुत करती है।

संविधान के अनुछेद (Artical) 112 के अनुसार, राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के दौरान ,संसद के दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक वित्तीय विवरण रखवाते है, जिसमे सरकार के गत वर्ष के आय व व्यय का ब्योरा होता है।

भारत में बजट निर्माण की प्रक्रिया

बजट निर्माण की प्रक्रिया किसी भी देश के लिए काफी लंबी तथा महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है, इसमें काफी समय भी लगता है। भारत के अंतर्गत यह बजट निर्माण की प्रक्रिया कई अलग-अलग चरणों के पूर्ण होती है। भारत में बजट निर्माण की पूरी प्रक्रिया के बारे में आपको नीचे विस्तार से जानकारी दी गई है :-

भारत में बजट निर्माण की प्रक्रिया निम्न अलग-अलग चरणों में होती है :-

अनुमानों का विवरण

यह भारत के अंतर्गत बजट निर्माण की प्रक्रिया का पहला चरण होता है। जैसा कि आपको पता है, कि भारत के अंतर्गत वित्तीय वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से होती है तथा इसका अंत 31 मार्च को होता है। जैसे ही भारत के अंतर्गत वित्तीय वर्ष की शुरुआत होती है, इसकी शुरुआत के साथ ही भारत के अंतर्गत आय व्यय संबंधित विवरण तैयार करने का कार्य हर एक विभाग के द्वारा शुरू कर दिया जाता है। इसके अंतर्गत प्रत्येक विभाग को अपने प्रशासकीय विभाग को निम्न विवरण भेजना होता है :-

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  1. विनियीग का शीर्षक और उपशीर्षक
  2. गत वित्तीय वर्ष की वास्तविक आय
  3. वर्तमान वित्तीय वर्ष का अनुमानित व्यय
  4. वर्तमान वित्तीय वर्ष की संशोधित आय का विवरण
  5. वर्तमान वित्तीय वर्ष की अनुमानित आय
  6. अन्य आवश्यक विवरण

इस पूरे विवरण को प्रत्येक विभाग के द्वारा महालेखा अधिकारी के पास भेजा जाता है, उसके पश्चात महालेखा अधिकारी कार्यालय के अंतर्गत इसकी जांच की जाती है, और इसका गहराई से परीक्षण किया जाता है।

अनुमानों का विभागीय परीक्षण

जैसा कि हमने आपको पहले चरण में बताया है, कि तमाम अलग-अलग विभाग के द्वारा वित्तीय विवरण या फिर बजट के लिए तैयार किए गए सभी अनुमानों को आगे भेज दिया जाता है, और उसके बाद उस विवरण की प्रशासकीय के आधार पर जांच की जाती है। इसके बाद जब प्रशासकीय विभाग के द्वारा इन अनुमानों को चेक कर लिया जाता है, तो उसे विभाग के केंद्रीय कार्यालय के अंतर्गत भेज दिया जाता है।

केंद्रीय कार्यालय के द्वारा इसकी पूरी जांच की जाती है, इसके अलावा आवश्यकतानुसार इनमें संशोधन भी किया जाता है। इसके पश्चात इसे सचिवालय संभाग के पास भेज दिया जाता है, केंद्रीय कार्यालय की तरह सचिवालय संभाग भी इसकी पुनः जांच करता है तथा इसमें आवश्यकता अनुसार संशोधित करता है। और सचिवालय संभाग के द्वारा इन परिपत्रों की पुनः जांच करने के बाद नवंबर महीने के अंत तक इन्हें वित्त मंत्रालय के पास भेज दिया जाते हैं।

वित्तीय के मंत्रालय द्वारा परीक्षण

जब वित्त मंत्रालय के पास यह सभी प्रपत्र पहुंचाते हैं, तो वित्त मंत्रालय के द्वारा इन सभी अनुमानों पर नए सिरे से विचार किया जाता है। वित्त मंत्रालय के द्वारा वह के आधार पर विचार के साथ साथ सीमित आय तथा साधनों की दृष्टि के आधार पर भी विभागीय अनुमानों पर विचार किया जाता है।

वित्त मंत्रालय के अनुसार यदि किसी भी विभाग के अनुमान के अंतर्गत कमी करने की आवश्यकता है, तो उसमें कमी भी कर सकता है, लेकिन वित्तीय मंत्रालय के द्वारा यह कटौती वित्त मंत्रालय के सभी संबंधित विभागों से बातचीत करने के बाद ही की जा सकती है। यदि कटौती के अंतर्गत दोनों विभाग सहमत हो जाते हैं तो इस प्रक्रिया को कंप्लीट कर दिया जाता है। इसके अलावा यदि इसके अंतर्गत दोनों विभागों की सहमति नहीं होती है तो इसे आगे मंत्रिमंडल के पास भेज दिया जाता है, तथा मंत्रिमंडल के द्वारा ही इसे फाइनल किया जाता है, तथा उसका निर्णय ही अंतिम निर्णय माना जाता है।

इसके बाद अंत में वित्त मंत्रालय के द्वारा सभी अलग-अलग विभागों के अनुमान को एक साथ जोड़ कर Budget का निर्माण किया जाता है। इस बजट को दो भागों के अंतर्गत प्रस्तावित किया जाता है, इसके अलावा भारत के अंतर्गत संपूर्ण बजट का प्रारूप वित्तीय मंत्रालय के द्वारा दिसंबर तक तैयार कर लिया जाता है।

मंत्रिमंडल की स्वीकृति

जब वित्त मंत्रालय के द्वारा बजट का प्रारूप तैयार कर लिया जाता है, तो प्रधानमंत्री, वित्त मंत्रालय तथा मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों की एक बैठक बुलाई जाती है उस बैठक के अंतर्गत इस बात का अवलोकन किया जाता है, इसके अलावा उस बैठक के अंतर्गत राजेश को संबंधित नीतियों का निश्चित किया जाता है। जब मंत्री मंडल के द्वारा इस बजट को स्वीकृति मिल जाती है, तो इसे बाद में संसद के अंतर्गत प्रस्तुत कर दिया जाता है।

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संसदीय प्रक्रिया

बजट निर्माण की प्रक्रिया

जब मंत्री मंडल के द्वारा Budget के प्रारूप को संसद के अंतर्गत प्रस्तुत किया जाता है, तो यह संसद के अंतर्गत कई अलग-अलग चरणों से होकर गुजरता है, जिसके बारे में आपको नीचे विस्तृत जानकारी दी गई है :-

(क) सामान्य वाद विवाद

जैसे ही संसद के अंतर्गत बजट को प्रस्तुत किया जाता है, तो सबसे पहले सामान्य वाद-विवाद की प्रक्रिया होती है। इसके लिए सप्ताह के अंतर्गत एक तारीख निश्चित की जाती है, तथा उसी दिन यह प्रक्रिया होती है, और इस प्रक्रिया के अंतर्गत बजट के मूल सिद्धांतों तथा नीतियों के संबंध में सामान्य वाद विवाद किया जाता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने के लिए 2 से 3 दिन का समय निर्धारित किया जाता है, और यह विवाद संसद के दोनों सदनों के अंतर्गत किया जाता है।

(ख) मतदान प्रक्रिया

जब संसद के अंतर्गत Budget पर सामान्य वाद विवाद की प्रक्रिया खत्म हो जाती है, तो उसके बाद मतदान की प्रक्रिया होती है। मतदान के अंतर्गत लोकसभा के अंतर्गत कई माग स्वीकृत की जाने का प्रस्ताव रखा जाता है, तो कई मांग को कट करने का प्रस्ताव रखा जाता है।

(ग) विनियोग विधयेक

संसद के अंतर्गत मतदान की प्रक्रिया संपन्न होने के बाद बजट को विनियोग विधयेक के लिए स्वीकृत होने के लिए भेज दिया जाता है, जिसमें संसद के अंतर्गत इसके लिए चुनाव किया जाता है, इसमें कोई भी वाद-विवाद नहीं होता है, क्योंकि यह प्रक्रिया पहले ही संपन्न हो चुकी होती है। विनियोग विधेयक की स्वीकृति मिलने के बाद इस बजट को राज्यसभा के अंतर्गत प्रस्तुतीकरण के लिए भेज दिया जाता है।

(घ) राज्यसभा में प्रस्तुतीकरण

जब राज्यसभा के अंतर्गत कोई भी विधयेक को भेजा जाता है, तो राज्यसभा के द्वारा उसे 14 दिन से अधिक अपने पास नहीं रखा जा सकता है। जैसे ही वित्त विधेयक को 14 दिन कंप्लीट हो जाते हैं तो विशेष स्वीकृत मान लिया जाता है। इसके अलावा राज्यसभा के पास किसी भी देख को अस्वीकार करने का अधिकार नहीं होता है, राज्यसभा इसके अंतर्गत सिर्फ अपना सुझाव दे सकती है, और यदि लोकसभा को वह सुधार सही लगते हैं, तो वे उस पर पुनर्विचार कर सकती है। इसके अलावा में लोकसभा उन सुझावों को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं होती है।

(ड) वित्त विधेयक

जब वित्त विधेयक को राज्यसभा तथा लोकसभा दोनों से स्वीकृति मिल जाती है, तो इसे अंत में राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है।

(च) राष्ट्रपति की स्वीकृति

जब वित्त विधेयक को राज्यसभा तथा लोकसभा दोनों से स्वीकृति मिल जाती है, तो इसे राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि राष्ट्रपति संघीय तथा अध्यक्षात्मक प्रणाली में वित्तीय शक्तियों का व्यापक होता है, लेकिन राष्ट्रपति का इन शक्तियों पर औपचारिक रूप से कोई भी अधिकार नहीं होता है।

वैसे तो सैद्धांतिक रूप से राष्ट्रपति के पास इस वित्तीय विधेयक को स्वीकृति तथा स्वीकृत करने का अधिकार प्राप्त होता है, लेकिन राष्ट्रपति के द्वारा व्यापारिक रूप से इस विधेयक को स्वीकृति दे ही दी जाती है। जैसे ही राष्ट्रपति के द्वारा वित्त विधेयक को स्वीकृति मिल जाती है, भारत के अंतर्गत बजट निर्माण की प्रक्रिया संपन्न हो जाती है।

तो इस तरीके से भारत के अंतर्गत बजट निर्माण की प्रक्रिया को संपन्न किया जाता है।

आज आपने क्या सीखा

आज के इस आर्टिकल के अंतर्गत हमने आपको बताया कि भारत के अंतर्गत बजट निर्माण की प्रक्रिया कैसे होती है। बजट निर्माण की प्रक्रिया के सभी चरणों के बारे में हमने आपको इस आर्टिकल के अंतर्गत विस्तार से जानकारी दी है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा बजट निर्माण की प्रक्रिया से संबंधित दी गई यह जानकारी पसंद आई है, तथा आपको इस पोस्ट के माध्यम से कुछ नया सीखने को मिला है। इस पोस्ट को सोशल मीडिया के माध्यम से आगे शेयर जरूर करें, तथा अपनी राय हमें कमेंट में जरूर दें।

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