Disha suchak yantra क्या होता है?

Disha suchak yantra in Hindi- दिशा सूचक संत्र यानि कंपास (Compass) का आपने कभी ना कभी जरूर प्रयोग किया होगा। छोटा सा ये यंत्र शायद कितने काम का है इसका आपको आभास भी नहीं हुआ होगा। क्‍योंकि हमारे आम जीवन में इसका प्रयोग बेहद ही कम होता है। लेकिन ये छोटा सा यंत्र कितने काम का होता है, आइए आज हम आपके बताते हैं। साथ ही दिशा सूचक यंत्र के इतिहास और इसके प्रकार के बारे में भी आपको बताते हैं।

दिशा सूचक यंत्र क्या है?

साधारण भाषा में बात करें तो Disha suchak yantra एक घ़डी की तरह होता है। जिसमें सुई लगी होती है। इन सुइयों की खास बात ये होती है कि ये हमेशा ‘उत्‍तर’ (North) दिशा की तरफ संकेत करती रहती हैं। जिसकी वजह से ही इसे ‘दिशा सूचक यंत्र’ कहा जाता है। इन सुइयों की इशारे से आप कभी भी दिशा से भ्रमित नहीं होंगे।

Disha suchak yantra की खोज कब की गई?

दिशा सूचक यंत्र का इतिहास बेहद ही पुराना है। क्‍योंकि इसका पता राजवंशों के समय से ही चलता है। दुनिया में सबसे पहले दिशा सूचक यंत्र की जानकारी चीन के हान वंश के राजा से प्राप्‍त होती है। बताया जाता है कि उस समय राजा के रथ में एक ‘पत्‍‍थर’ लगा हुआ करता था। जो कि दिशा बताने का काम किया करता था। जिसे उस समय ‘LAND STONE’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन इसका सही तरीके से प्रयोग सन् 1300 में अग्रेजों और इस्‍लामिक देशें के द्वारा किया जाने लगा था। आगे चलकर इसका प्रयोग प्रथम विश्‍व युद्ध के दौरान भी खूब हुआ। साथ ही उस दौरान ‘सोवियत आर्मी’ के लोग घड़ी की जगह इसी कंपास यंत्र को अपनी कलाई पर पहना करते थे। ताकि युद्ध के दौरान सैनिकों को सही दिशा का पता लगता रहे।

कितने प्रकार के होते हैं दिशा सूचक यंत्र?

मुख्‍यत: Disha suchak yantra चार प्रकार के होते हैं। साथ ही इनका विभाजन इनकी काय्रप्रणाली के आधार पर अलग अलग तरीके से किया गया है।

मैगनेटिक कंपास (Magnetic compass)

इस तरह के कंपास में एक धातु की सुई दी गई होती है, जो कि कांसे से बने एक गोलाकार डिब्‍बे में फिट की रही होती है। ये सुई पूरी तरह से स्‍वतंत्र होती है। इसलिए इसे किसी भी तरफ कर दिया जाए ये सुई हमेशा ‘उत्‍तर’ दिशा की और ही संकेत कर देती है। ये सुई चुंबकीय होती है।

नॉन मैगनेटिक कंपास (Gyro compass)

‘नॉन मैगनेटिक कंपास’ ही एक ऐसा कंपास है, जिसका प्रयोग दुनिया में सबसे ज्‍यादा किया जाता है। क्‍योंक‍ि ये कंपास उन जगहों में भी काम करता है, जहां चुंबकीय क्षेत्र नहीं होता है। जैसे कि मेरियाना गर्त, सबमरीन के अंदर और रेगिस्‍तान के कई इलाकों में। ऐसी जगहों पर ‘नॉन मैगनेटिक कंपास’ का ही प्रयोग किया जाता है। इसकी सटीकता अधिक होने की वजह से सेना और लडाकू जहाजों में भी इसी का प्रयोग किया जाता है। ताकि निशाना सही लगाया जा सके। हालांकि, यहां भी बैकअप के तौर पर मैगनेटिक कंपास को रखा जाता है। क्योंकि यदि एक कंपास काम ना करे तो दूसरे की मदद से काम चलाया जा सकता है।

जीपीएस रिसीवर कंपास (GPS)

जीपीएस (Global Positioning System) ऊपर बताए गए दोनों कंपास से सटीकता के मामले में कमजोर साबित होता है। इसलिए इसका प्रयोग केवल गैर जरूरी कामों के लिए किया जाता है। साथ ही ये एक आधुनिक कंपास होता है, इसलिए इसे चलाने के लिए बैटरी की भी जरूरत पड़ती है। ऐसे में इसका प्रयोग यदि लम्‍बे समय तक किया जाए, तो इसकी बैटरी दोबारा से चार्ज करने की जरूरत पडती है। इसलिए युद्ध ओैर सेना आदि से जुड़े कामों में इसे कामयाब नही माना जाता है। क्योंकि यहां लड़ाई कितने दिन चलेगी इसका कुछ पता नहीं होता।

 मैग्रनोमीटर (Magnetometer)

‘मैग्‍नोमीटर’ का प्रयोग दिशा बताने के लिए आपके मोबाइल फोन में किया जाता है। यह कंपास भी बेहद ही सटीक माना जाता है। लेकिन इसमें एक परेशनी ये रहती है। क्‍योंकि इसका प्रयोग आप तभी तक कर सकते है, जबतक आपके फोन की बैटरी चार्ज है। बिजली पर इसकी निर्भरता को देखते हुए इसकी सटीकता को भी नजरअंदाज करना पडता है। क्योंकि बिजली खत्म होने के साथ ही ये बेकार हो जाता है।

मोबाइल से कैसे पता करें दिशा?

आजकल के फोन सिर्फ बातचीत तक ही सीमित नहीं है। इनमें आपको दिशा भी देखने की सुविधा दी गई होती है। ऐसे में में यदि आपको कभी भी फोन से दिशा देखने की जरूरत पड़ती है, तो अपने फोन के प्ले स्टोर में कंपास (Compass) लिखकर किसी भी ऐप्लीकेशन को डाउनलोड कर सकते हैं।

एप्लीकेशन डाउनलोड होने के बाद आप इसे जैसे ही खोलेंगे आपको सीधा घड़ी नुमा कंपास दिखाई देने लगेगा। हालांकि, यदि आप फोन में बिल्कुल सही दिशा देखना चाहते हैं, तो बेहतर होगा आप इसे सीधा जमीन पर रख दें। अब आपको जिस भी दिशा बारे में जानना है आप बेहद आसानी से जान सकते हैं। हाल के कुछ फोनों में कंपास की सुविधा भी कंपनी की तरफ से दी जाने लगी  है। ऐसे में यदि आपके फोन में कंपास से जुड़ी ऐप्लीकेशन पहले से मौजूद है, तो आपको कंपास डाउनलोड नहीं करना पड़ेगा। आप इसी से सही दिशा देख सकते हैं।

कैसे देखते है कंपास?

कंपास (Compass) कोई भी हो उसे देखने का एक ही तरीका एक ही होता है। सभी कंपास गोलाकार आकार में होते है। इसमें घड़ी की तरह सुई लगी होती है। जो कि हमेशा ‘उत्तर’ (North) की तरफ संकेत करती रहती है। यदि आप कंपास पकड़ते हैं तो कंपास के ऊपर की तरफ ‘उत्तर’ (North) आपके पैरों की तरफ ‘दक्षिण’ (South) और आपके सीधे हाथ की तरफ ‘पूरब’ (East) और उल्टे हाथ की तरफ ‘पश्चिम’ (West) होता है। यदि आपके पास कोई भी उपकरण नहीं है और दिशा जानना चाहते हैं, तो आप एक चुबंक लीजिए और इसे स्वतंत्र रूप से लटका दीजिए। अंत में जब ये स्थिर होगा तो इसके दोनों सिरे उत्तर और दक्षिण दिशा की तरफ ही संकेत करते मिलेंगे।

अंतिम शब्द

आपने जाना कि कंपास (Compass) कैसे देखा जाता है, साथ ही आज के समय सेना और युद्ध के दौरान इसका कितना ज्यादा उपयोग होता है। इसी के साथ यदि आपके पास कंपास नहीं है, तो भी आप अपने फोन के माध्यम से किस तरह कंपास देख सकते हैं। हमने आपको ये भी जानकारी दी।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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