Duniya Ke Saat Ajoobe | दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं?

दुनिया के सात अजूबे कहां कहां हैं?

Duniya Ke Saat Ajoobe: द‍ुनिया के सात अजूबों के बारे में आपने कई बार सुना होगा। हो सकता है कि इनमें से आपने किसी अजूबे को देखा भी हो। पर यदि आप इनके बारे में अभी तक नहीं जानते हैं तो आज आप इनके बारे में विस्‍तार से जान जाएंगे। क्‍योंकि अपने इस लेख में हम आपको Duniya Ke Saat Ajoobe के बारे में जानकारी देंगे।

अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि इन्‍हें अजूबे क्‍यों कहा जाता है। ये दुनिया के किन देशों में स्‍थित हैं। साथ ही इनकी वो कौन सी खात बातें हैं। जिनके लिए लोग इन्‍हें सात समुंदर पार की यात्रा करके भी देखने आते हैं।

अजूबे क्‍या होते हैं?

Duniya Ke Saat Ajoobe कौन से हैं इस बारे में हम आपको जानकारी दें इससे पहले आइए हम आपको एक बार ये बताते हैं कि आखिर इन्‍हें अजूबे क्‍यों कहा जाता है। दरअसल, इसके पीछे वजह इनकी बनावट और इसे बनाने के पीछे लगी मेहनत ही इन्‍हें अजूबों की श्रेणी में लेकर आती है।

उदाहरण के तौर पर आप ताजमहल को ही ले लीजिए। जब ताजमहल को बनाया गया होगा तो उस समय ना तो कोई तकनीक थी, ना ही आज के समय के इंजीनियर। पर फिर भी उस समय ताजमहल के रूप में ऐसी इमारत खड़ी कर दी गई। जिसे आज के संसाधन संपन्‍न इंजीनियर भी नहीं बना सकते हैं। इसे अजूबा नहीं तो और क्‍या कहा जाए। इसी तरह से अबतक कुल दुनियाभर में सात इमारतों को अजूबा माना गया है।

दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं

दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं?

आइए अब आपको हम बताते हैं कि दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से हैं। जिसमें हम आपको बारी बारी से एक एक के नाम बताएंगे और उनकी ऐसी क्‍या खूबी है जो कि उसे अजूबा कहने को मजबूर कर देती है। उसकी जानकारी देंगे। इन अजूबों से जुड़े प्रश्‍न कई बार परीक्षओं में भी पूछे जाते हैं।

  1. चीन की दीवार
  2. मसीहा उद्धारक
  3. पेट्रा
  4. ताजमहल
  5. चीचन इट्जा
  6. माचू पिच्‍चु
  7. कोलोजीयम

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चीन की दीवार

Duniya Ke Saat Ajoobe में सबसे पहला नंबर आता है चीन की दीवार का। इस दीवार की लंबाई लगभग 6400 किलोमीटर है। माना जाता है इस चीन के कई शासकों ने मिलकर 5 वीं शताब्‍दी से लेकर 16 वीं शताब्‍दी तक के बीच में इसे लगातार बनवाया था। तब जाकर ये दीवार पूरी बनकर तैयार हुई थी।

इस दीवार को मिट्टी, ईंटों, और पत्‍थरों से मिलाकर बनवाया गया था। इस दीवार को बनवाने का उद्देश्‍य था कि उस समय जो चीन के पड़ोसी शासक थे। वो किसी भी सूरत में चीन के अंदर प्रवेश करके आक्रमण ना कर सकें। साथ ही इस दीवार के ऊपर से सैनिक उनकी निगरानी भी कर सकें।

इस दीवार की ऊंचाई हर जगह अलग अलग है। लेकिन इसकी सबसे ज्‍यादा ऊंचाई 35 फुट बताई जाती है। यद‍ि हम इस दीवार की चौड़ाई की बात करें तो इसके ऊपर से एक साथ 10 लोग पैदल चल सकते हैं। जबकि कुल 5 घुड़ सवार सैनिक जो किे उस समय इसके ऊपर से निगरानी का काम करते थे।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस दीवार को बनाने में 20 से 30 लाख लोगों ने अपना पूरा जीवन खपा दिया था। जबकि सुनने में ये भी आता है इस दीवार को बनाने में जो लोग कामचोरी करते थे या काम नहीं करते थे। उन्‍हें इस दीवार में ही दफन कर दिया जाता था। जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा कब्रिस्तान भी कहा जाता है। क्‍योंकि इस बात का कोई अंदाजा नहीं है इसके अंदर कितने लोग दफन किए जा चुके हैं।

इस दीवार की लंबाई और चौड़ाई इतनी ज्‍यादा है कि इसे अंतरिक्ष से भी आसानी से देखा जा सकता है। इस अजूबे को देखने हर साल पूरी दुनिया से लगभग 1 करोड़ लोग चीन में आते हैं। दुनिया के सात अजूबे में इसे इसलिए शामिल किया गया है। क्‍योंकि आज के समय भी कोई सुविधा संपन्‍न देश भी इस तरह की दीवार को बनाने की सोच तक नहीं सकता है। ना ही कभी किसी देश ने कोशिश की है।

मसीहा उद्धारक

दुनिया के सात अजूबे में दूसरा नंबर आता है मसीहा उद्धारक की मूर्ति का। यह मर्ति ब्राजील के रियो डी जेनेरो शहर में पहाड़ के ऊपर बनाई गई है। यह ईसा मसीह की मूर्ति है जिसे वहां के तिजूका मारेस्‍ट नैशनल पार्क में कोर्कावाड़ो पर्वत की चोटी पर बनाया गया है। यदि हम इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है। इसकी कुल ऊंचाई 130 फीट है, जबकि इसकी चौड़ाई 98 फीट है। जबकि इसका वजन 635 टन के करीब है।

इसका निर्माण साल 1922 में शुरू किया गया था जबकि साल 1931 में जाकर पूरा हुआ था। इस बनाने में उस समय कुल 2 लाख 50 हजार डॉलर तक खर्च हुए थे। इस मूर्ति पर पक्षी ना बैठे इसके लिए इसके चारों तरफ छोटी छोटी कीलें लगाई गई हैं। जिसकी वजह से इस पर कभी पक्षी नहीं बैठते हैं। यह मूर्ति रात में दिखाई दे इसके लिए इसके चारों तरफ लाइटें लगाई गई हैं।

Duniya Ke Saat Ajoobe में इसे भी शामिल किया गया है। क्‍योंकि इसे बनाने में जिस तरह की मेहनत की गई है, वो आज के समय में शायद ही कोई दोबारा कर सकता है। भले ही आज दुनिया के कई देशों ने इससे बड़ी मूर्ति बना ली है। पर इसकी खूबसूरती और लोकप्रियता का मुकाबला दूर दूर तक कोई नहीं कर सकता है।

पेट्रा

Duniya Ke Saat Ajoobe में अगला नाम ‘पेट्रा’ का आता है। यह जार्डन शहर में बसा एक नगर है। इस नगर की खास बात ये है कि इसे बसाने के लिए बड़ी बड़ी चट्टानों और इमारतों को तराश कर बसाया गया है। इसकी स्‍थापना 312 इश्‍वी के दौरान की गई थी। उस दौरान वहां के शासकों ने इसे बसाने का निर्णय लिया था।

इसकी चट्टानें लाल रंग की होने के कारण से इसे ‘Rose City’ भी कहा जाता है। इसकी खूबसूरती की वजह से यह नगर पूरी दुनिया में पर्यटन स्‍थल के रूप में मशहूर है। इसकी खूबसूरती को सहेजने के लिए इसे विश्‍व विरासत स्‍थलों की श्रेणी में यूनेस्‍कों ने भी इसे शामिल किया है।

दुनिया में यदि कोई एतिहासिक और सांस्‍कृतिक स्‍थल देखना चाहता है तो वो जार्डन के इस नगर की यात्रा कर सकता है। संभवत: उसे इसे देखकर कभी निराशा नहीं होगी। इसकी इसी खूबसूरती की वजह से इसे दुनिया के अजूबों में शामिल किया गया है। जो कि इसे और ज्‍यादा लोकप्रिय बनाता है।

ताजमहल

Duniya Ke Saat Ajoobe में ताजमहल भारत का एकमात्र अजूबा है। यह उत्‍तर प्रदेश के आगरा में स्‍थित है। इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुम्‍ताज की याद में बनवाया था। जिसकी मृत्‍यु 1631 बच्‍चे को जन्‍म देते समय हो गई थी। इसका निर्माण 1632 से लेकर 1653 के बीच हुआ था। यानि कि इसे बनाने में कुल 21 वर्ष का लंबा समय लग गया था।

इसकी खूबसूरती को आप इस बात से समझ सकते हैं कि इसे बनाने में शाहजहां ने पूरी दुनिया के कोने कोने से संगमरमर मंगवाया था। ताकि इसकी नक्‍कासी में कोई कमी ना रह जाए। यही वजह है कि जब इसके संगमरमर पर सूरज की रोशनी पड़ती है, तो यह अलग अगल रंगों में दिखाई देता है। इसकी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए इसके चारों तरफ भी घास और फूलों के बाग लगे हुए हैं।

इसे बनाने में उस समय कुल 20 हजार मजदूरों ने अपना योगदान दिया था। शाहजहां कभी नहीं चाहते थे कि कभी पूरी दुनिया में कोई दूसरा ताजमहल ना खड़ा हो। इसलिए शाहजहां ने ताजमहल बनने के बाद मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे। यदि हम इसकी ऊंचाई की बात‍ करें तो यह 73 मीटर ऊंचा है साथ ही 17 हेक्‍टेयर में फैला हुआ है। जो कि इसे और ज्‍यादा खूबसूरत बना देता है।

चीचेन इट्जा

चीचेन इट्जा मैक्सिको देश में स्थित है। यह अपने विश्व प्रसिद्ध पिरामिडीय आकृति के मयान मंदिर और यहाँ से निकलने वाली अजीब आवाजों के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और यहाँ के हर एक मंदिर में 365 सीढ़िया है। माना जाता है की इसे कोलम्बियाई माया सभ्यता ने 9 वीं और 12 वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था। और यहाँ हर वर्ष 12 लाख से भी ज्यादा पर्यटक घूमने आते है।

चीचेन इट्ज़ा को 1200 वर्ष पहले बसाया गया था, जो बहुत ही विशाल क्षेत्र लगभग 4 वर्ग मिल में फैला हुआ है। इसीलिए यह दुनिया के सात अजूबों में से एक है। इसे भी शायद ही दोबारा बनाया जा सकता है इसलिए इसे द‍ुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है।

माचू पिच्‍चू

माचू पिच्‍चू भी Duniya Ke Saat Ajoobe में शामिल किया गया है। यह दक्षिण अमेरिका के पेरू शहर में बसा हुआ एक शहर है। यह इंका सभ्‍यता से संबधित एक प्राचीन स्‍थल है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 2430 मीटर के करीब है। इसका निर्माण 1438 से 1472 ईश्‍वी के बीच में किया गया था। इसे ‘लॉस्‍ट सिटी ऑफ द इन्‍का’ के नाम से भी पूरी दुनिया में जाना जाता है।

इसे साल 2007 में दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया था। इसकी खास बात ये है इसकी चोटियों पर से सुबह के सूर्योदय का नजारा बेहद ही मनमोहम होता है। लेकिन इस ट्रैक के संकरा होने के कारण इस पर एक साथ 500 से ज्‍यादा लोग नहीं जा सकते हैं।

Duniya Ke Saat Ajoobe में शामिल माचू पिच्‍चू को अब 30 फीसदी तक पुन: निर्मित भी किया जा चुका है। ताकि इसकी खूबसूरती को आगे भी इसी तरह से बनाए रखा जा सके।

कोलोजीयम

यह इटली के रोम शहर में है। यह एक स्‍टेडियम है। जिसे 80 शताब्‍दी में बनवाया गया था। कहा जाता है कि इसके अंदर एक साथ 5 हजार लोग बैठ सकते हैं। पुराने समय में इस स्‍टेडियम में योध्‍धाओं और पशुओं के बीच लड़ाइयां लड़ी जाती थी। जिसके चलते अब तक इसमें 10 लाख से ज्‍यादा लोग और 5 लाख से ज्‍यादा जानवर मारे जा चुके हैं।

हालांकि, यह अब बंद हो चुका है। आज भी यहां हर ‘गुड फ्राइडे’ (Good Friday) को जुलूस निकाला जाता है। इस अखाडे में सबसे बड़ी सीट अशोक सम्राट की होती है।

इस अखाड़े को देखने दुनिया भर से हर साल 40 लाख लोग आते हैं। जिसकी वजह से यूनेस्‍को ने भी इसे विश्‍व विरासत स्‍थलों की सूची में शामिल किया है। ताकि इसकी सुदंरता और लोकप्रियता को बरकरार रखा जा सके।

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Conclusion

आशा है कि अब आप जान चुके होंगे कि Duniya Ke Saat Ajoobe कौन कौन से हैं। उनकी क्‍या खूबियां हैं। साथ ही यदि आप उन्‍हें देखना चाहते हैं तो किस देश की यात्रा करनी पड़ेगी। यदि आपको हमारा ये लेख पसंद आया है तो इसे आप अपने दोस्‍तों के साथ भी अवश्‍य शेयर करें। साथ ही कमेंट बॉक्‍स में अपनी राय भी जरूर साझा करें।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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