हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए? | 11 मौलिक कर्तव्‍य

हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए?

हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए अगर आप यह जानने कि चाह रखते है तो यह साबित करता है कि आप एक अच्छे नागरिक है, जिसे इस देश की फिक्र है। हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए यह जानने के बाद आप यह अच्छे से समझ सकेंगे कि देश के लिए क्या बेहतर है।

“हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए” यह जानना हमारे लिए उतना ही जरुरी है जितना हमें ज्ञात होना कि क्या सही क्या गलत है। हमारे देश के संविधान ने हम सभी को कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं। इसलिए जब भी हमारे साथ कहीं कुछ गलत होता है, तो हम हमेशा अपने उन अधिकारों की दुहाई देने लगते हैं।

लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि हमारे अधिकारों के साथ कुछ हमारे कुछ मौलिक कर्तव्‍य भी हैं, जिनका निर्वहन हम सभी को पूरी जिम्‍मेदारी और जवाबदेही के साथ करना होता है। ताकि हमारा देश हमेशा आगे बढ़ता रहे। आज हम इस लेख में इसी बारे में जानेगे कि हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए।

अपने इस लेख में हम आपको बताएंगे कि हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए। साथ ही उनके लिए संविधान में क्‍या प्रावधान किए गए हैं। जिनका पालन करना देश के हर नागरिक के लिए एक कर्तव्‍य होता है।

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क्‍यों जरूरी है देश के प्रति कर्तव्‍य?

हर देश की जनसंख्‍या लाखों करोड़ों में होती है। ऐसे में ये संभव नहीं है उस देश के हर कोने तक पुलिस के सिपाही जा सकें। साथ ही किसी भी देश की जनता का सहयोग उसे आगे ले जाने में बेहद जरूरी होता है। इसलिए जरूरी है उस देश का हर नागरिक एक सजग और जिम्‍मेदार नागरिक की भूमिका निभाए। इससे वो देश ना सिर्फ आगे जाएगा, बाल्कि उस देश के लोगों में प्‍यार प्रेम और भाईचारे की भावना भी बढ़ेगी। इसे ही देश के प्रति एक सच्‍चे नागरिक का कर्तव्‍य कहा जाता है।

कुछ इसी उद्देश्य से संविधान में मौलिक कर्तव्‍यों का उल्लेख किया गया ताकि आम आदमी को पता चल सके कि हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए।

संविधान में कब जोड़ा गया था मौलिक कर्तव्‍य?

हमारा संविधान जब 26 जनवरी 1950 में बनकर लागू हुआ था, तो उसमें किसी तरह का मौलिक कर्तव्‍य नहीं था। इसके बाद स्‍वर्ण सिंह समित‍ि ने 8 मौलिक कर्तव्‍यों की सिफारिश की थी। जो कि रूस के संविधान से देखकर सुझाए गए थे। लेकिन सरकार ने साल 1946 में संविधान में संशोधन करते हुए कुल 10 मौलिक कर्तव्‍य जोड़े। इसके बाद आगे चलकर साल 2002 में शिक्षा देना भी मौलिक कर्तव्‍य की श्रेणी में शामिल कर दिया गया। जो कि हर माता पिता का अपने बच्‍चे के प्रति एक कर्तव्‍य होता है।

हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए | संविधान के 11 मौलिक कर्तव्‍य

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हमें अपने देश के लिए क्या करना चाहिए यह हमारे संविधान में लिखित रूप से मौजूद है जिसे हम मौलिक कर्त्तव्य के रूप में जानते है तो चलिए जानते कि संविधान के मौलिक कर्तव्‍य क्या है।

संविधान का पालन करें

हमारे संविधान में सबसे पहला मौलिक कर्तव्‍य है कि हमें अपने देश के संविधान का पालन करना चाहिए। उसमें हर विषय पर जो नियम बनें हैं उनको ध्‍यान में ही रखकर ही अपना हर काम करना चाहिए। साथ ही दूसरे लोगों को भी संविधान का पालन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। ताकि देश का हर नागरिक संविधान रूपी इस किताब के महत्‍व को समझ सके।

स्वतंत्रता सेनानियों को अपने हृदय में संजाए रखें

हमारे देश की आजादी का सफर बेहद कष्‍टकारी रहा था। इस आजादी को पाने के लिए अनकों लोगों ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया था। इसलिए ये हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम लोग उन्‍हें अपने दिल में हमेशा संजाए रखें। ताकि हमें इस बात का हमेशा आभास रहे कि हमें आजादी कितनी मुश्किल से मिली है। इसलिए इसे दोबारा से खोना नहीं है। साथ ही जब भी हमें मौका मिले अपने स्‍वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को याद अवश्‍य करें।

देश की संप्रुभता, एकता और अखंडता की रक्षा करें

कहते हैं कि एक बंद मुठ्ठी में जो ताकत होती है, वो एक खुली मुठ्ठी में कभी नहीं हो सकती है। इसी बात को संविधान में भी बताया गया है। संविधान में कहा गया है कि हमारे देश में हर जाति, धर्म और संस्‍‍कृति के लोग निवास करते हैं। लेकिन हमें कभी भी उनसे अलग नहीं रहना है। हम सभी को आपस में प्यार, प्रेम और भाईचारे की भावना के साथ जीवन व्‍यतीत करना है। सभी लोग एक दूसरे के सुख दुख में सहभागी बनेंगे। ताकि देश की एकता और अखंडता इसी तरह हमेशा बनी रहे।

अपने देश की रक्षा करें

वैसे तो देश की रक्षा करना सेना की जिम्‍मेदारी होती है। इसलिए वो 24 घंटे देश के बार्डर पर मुस्तैद रहती है। लेकिन सेना के अलावा ये हर नागरिक की ये जिम्‍मेदारी बनती है कि वो अपने देश की रक्षा करे। जिसमें उसका कर्तव्‍य होता है कि वो देश के अंदर ऐसी किसी भी गतिविधि को बढ़ने ना दे जिससे आगे चलकर उस देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होता दिखाई दे। साथ ही यदि देश कभी मुश्किल परिस्‍थिति में आता है और देश के हर नागरिक की जरूरत पड़ती है। तो चाहिए कि हर आदमी अपने देश की रक्षा के लिए सेना का पूरा सहयेाग करे और यदि हथियार उठाने की जरूरत पड़ती है, तो वो पीछे ना हटे।

समरसता और समान भ्रातृत्‍व की भावना पैदा करें

हमें अपने देश में रहकर इस तरह का प्रयास करना चाहिए कि समाज में समरसता और एकरूपता की भावना विकसत हो। इसकी शुरुआत हम लोग अपनी गली या मोहल्‍ले से कर सकते हैं। यदि हम सभी लोग ऐसा करते हैं तो एक दिन समाज में बनाई समरसता और एकरूपता की भावना पूरे देश में फैल जाएगी।

हमारी गौरवशाली परंपरा का महत्‍व समझें

हमारे देश में तमाम विविधताएं फैली हुई हैं। हर राज्‍य की अलग परंपरा और वेशभूषा है। ऐसे में हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम इस परंपरा को हमेशा सहेज कर रखें। ताकि आने वाली पीढी इस परंपरा को जान और समझ सकें। साथ ही हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम अपने देश की तमाम परंपराओं के बारे में जानें और उन्‍हें सहेजने की कोशिश करें। साथ ही उन्‍हें आने वाली युवा पीढी को बताने की कोशिश करें।

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पर्यावरण की रक्षा करें

पर्यावरण हमें प्रकृति की तरफ मुफ्त में मिला एक उपहार है। जो कि हमारे जीवन के लिए बेहद ही जरूरी है। इसलिए हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम किसी भी राज्‍य या शहर में रहते हों उस जगह पर पेड़ पौधों की रक्षा करें। साथ ही यदि हमारे घर में उपयुक्‍त जगह है तो कोशिश करें कि अपने घर में एक दो पौधे अवश्‍य लगाएं। ताकि पर्यावरण सरंक्षण में हम अपना योगदान दे सकें।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण की भावना विकसित करें

हमारे देश में धर्म और अंधविश्‍वास कितने बड़े स्‍तर पर फैला हुआ है ये हम सभी जानते हैं। इसलिए हमारा ये संवैधानिक कर्तव्‍य बनता है किे हम समाज में वैज्ञाानिक दृष्टिकोण का प्रचार प्रसार करें। साथ ही किसी भी ऐसी बात को फैलने से रोकें जिससे समाज में किसी तरह से भी अंधविश्‍वास को बढ़ावा मिलता हो। ताकि समाज और देश निरंतर आगे बढ़ता रहे।

सार्वजनिक संम्‍पत्ति की रक्षा करें

सार्वजनिक यानि सरकारी संपत्ति जो कि हमारे ही टैक्‍स के पैसे से बनी होती है। लेकिन कई बार हम लोग किसी आंदोलन या जाने अनजाने में इन्‍हें नुकसान पहुंचा देते हैं। इसलिए हमारा ये कर्तव्‍य बनता है कि जब भी कहीं हम किसी सरकारी संपत्ति का प्रयोग करें तो उसकी पूरी तरह से रक्षा करें। भले ही कोई हमें उस समय ना देख रहा हो। इसमें खासतौर पर रेलवे, बस, सड़क आदि शामिल होती हैं। जो कि हमारे जीवन को चलाने में अपना महत्‍वपूर्ण योगदान अदा करती हैं।

उत्‍कर्ष की और बढ़ने का प्रयास करें

उत्कर्ष से तात्‍पर्य है बेहतरी की तरफ बढ़ने का प्रयास करें। बेहतरी का कोई निश्चित पैमाना तो नहीं है, परन्‍तु यहां कहा जा सकता है कि कोई भी इंसान जिस जगह पर है यदि वो उससे ऊपर उठने की कोशिश करता है, तो वही उसके लिए यही आदर्श उत्‍कर्ष होगा। इसलिए हर नागरिक को चाहिए कि वो आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत रहे। ताकि वो अपने देश और समाज को आगे ले जा सके।

माता पिता अपने बच्‍चों को शिक्षा प्रदान करें

हमारे देश में शिक्षा के गिरते स्‍तर को देखते हुए साल 2002 में इसे भी मौलिक कर्तव्‍य बना दिया गया था। इसके तहत हर माता पिता का कर्तव्‍य होगा कि वो अपने 6 से 14 साल के बच्‍चे को अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेंगे। जिससे वो शिक्षित हो सकें। साथ ही राज्‍यों को इस उम्र के बच्‍चों के लिए नि:शुल्‍क शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। जो कि सभी राज्‍यों पर लागू होता है।

देश के प्रति कुछ अन्‍य जरूरी कर्तव्‍य

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ऊपर बताए गए सभी कर्तव्‍य हमारे संविधान में उल्‍लेखित हैं। लेकिन इसके अलावा भी हमारे कुछ कर्तव्‍य बनते हैं जिनका हमें पालन करना चाहिए। इसमें सबसे जरूरी है कि हम जब भी किसी सार्वजनिक जगह पर जाएं तो उसे गंदा ना करें। अपना कूडा हमेशा कूडेदान में ही डालें।

साथ ही अपने हिस्‍से का टैक्‍स भी ईमानदारी से हर साल भरें। ताकि वो पैसा देश के विकास में काम आ सके। इसके अलावा जरूरी है हम अपने अंदर देशभक्ति की भावना भरें और हमेशा सकारात्‍मक सोचें। साथ ही अपना हर फैसला लेते समय यह अवश्‍य देखें कि कहीं इससे देश को कोई नुकसान तो नहीं पहुंच रहा है।

यदि ऐसा हो रहा हो तो उसे फैसले को वहीं टाल दें। अंत में हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम जो सामान खरीद रहे हैं, वो किसी विदेशी कंपनी का तो नहीं है। यदि ऐसा है तो हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने देश में बना माल ही खरीदें। इससे हमारे देश का पैसा दूसरे देशों में जाने से बच सकता है।

क्‍या मौलिक कर्तव्‍यों का पालन ना करने पर सजा का प्रावधान है?

नहीं, मौलिक कर्तव्‍य का पालन करना हर व्‍यक्ति की इच्छा पर निर्भर करता है। इनका पालन करना किसी के लिए बाध्‍यकारी नहीं है। लेकिन यदि कोई देश के खिलाफ किसी गतिविधि में लिप्‍त पाया जाता है या किसी सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है। तो उसके लिए कानून में सजा का प्रावधान है। देश में किसी तरह का धार्मिक उन्‍माद फैलाने पर भी सजा का प्रावधान है। इसलिए इस तरह की गतिविधि से आप हमेशा दूर रहें।

क्‍या एक आदमी देश में बदलाव ला सकता है?

बहुत से लोगों का मानना होता है कि क्‍या एक आदमी यदि अपने कर्तव्‍य का पालन करता है तो उससे पूरे देश में बदलाव आ सकता है। उसका मानना होता है जब सब लोग अपने कर्तव्‍य का पालन नहीं कर रहे हैं तो हम ही क्यों कर्तव्‍य का पालन करें। लेकिन हम आपसे कहना चाहते हैं कि ये पूरा देश एक एक आदमी से मिलकर ही बना है। हर कोई अपने अधिकार का प्रयोग करता है, तो यह उसकी नैतिक जिम्‍मेदारी बनती है कि वह अपने हिस्‍से के कर्तव्‍य का पालन भी करें। भले ही कोई दूसरा करे या ना करे।

इन पांच कामों को कभी ना करें

  • कभी भी आप अपने घर या आस पड़ोस में किसी ऐसे आदमी को शरण ना दें, जो कि किसी ऐसी गतिविधि में लिप्‍त हो जो कि देश विरोधी हो। यह एक तरह से देशद्रोह के अंतर्गत आता है।
  • देश की सेना से जुड़ी या कोई ऐसी जानकारी किसी दूसरे देश या असमाजिक तत्‍व में शामिल लोगों को ना दें। जिससे उसका प्रयोग देश के खिलाफ किया जा सके।
  • देश की किसी भी अदालत का फैसला आप पर आए या किसी अन्‍य व्‍यक्ति पर आए तो आप उसका सम्मान करें। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह अदालत का अपमान होगा और आप पर मानहानि का केस चल सकता है।
  • सार्वजनिक मंचों पर या किसी भी सोशल मीडिया साधन के जरिए आप किसी धर्म या जाति विशेष पर अपमानजनक टिप्‍पणी ना करें। इससे देश का सोहार्द खराब हो सकता है। साथ ही इससे आप पर IPC की धारा के अनुसार कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
  • कभी भी आपके साथ यदि कुछ गलत होता है, तो कानून हाथ में ना लें। अदालत और पुलिस पर भरोसा रखें और इसकी तुरंत शिकायत करें। न्‍याय का सबसे बेहतर यही रास्‍ता है। यदि आप स्‍वंय न्‍याय करेंगे तो इससे आप कानून की नजर में खुद गुनहगार बन जाएंगे।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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