लाल सिंह चड्ढा कौन थे? Laal Singh Chaddha Real Story in Hindi

Laal Singh Chaddha Real Story in Hindi: आमिर खान की फिल्‍म लाल सिंह चड्डा आप सभी ने देखी होगी। क्‍योंकि इस फिल्‍म की कहानी भारत के एक परवीर चक्र विजेता के ऊपर आधारित है। इस कहानी के अंदर लाल सिंह चड्डा के जीवन की कहानी को बड़े ही रोचक अंदाज में बताया गया है।

लेकिन यदि आप अभी तक लाल सिंह चड्डा के जीवन की कहानी के बारे में नहीं जानते हैं तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए। अपने इस लेख में हम आपको लाल सिंह चड्ढा कौन थे। साथ ही उनके जीवन के बारे में विस्‍तार से जानकारी देंगे।

लाल सिंह चड्ढा कौन थे?

वैसे तो लाल सिंह चड्डा एक इंसान थे। लेकिन आज हम लोग उनके इस नाम को एक फिल्‍म के तौर पर जानते हैं। क्‍योंकि उनके जीवन के ऊपर जो फिल्‍म बनी है उसका नाम भी लाल सिंह चड्डा ही है। जो कि उनके पूरे जीवन के बारे में बताने का काम करती है।

इस फिल्म के अंदर आमिर खान जो कि लाल सिंह चड्डा के रूप में काम करते हैं। उन्‍होंने लाल सिंह चड्डा के अंदाज को बड़े ही शानदार अंदाज में फिल्‍माया है। जिससे लोग उनके जीवन के बारे में जानकर बेहद ही भावुक हो जाते हैं। क्‍योंकि उनके जीवन की कहानी बेहद ही संघर्ष भरी है।

लाल सिंह चड्ढा कौन थे

लाल सिंह चड्ढा कौन थे? (Real Story)

आइए अब हम आपको जानकारी देते हैं कि लाल सिंह चड्डा कौन थे। तो हम आपको बता दें कि लाल सिंह चड्डा एक मंद बुद्धि बालक थे। जिससे इनका जीवन आम लोगों की तरह सामान्‍य नहीं था। इनके मानसिक रूप से कमजोर होने के चलते इनका दाखिला किसी भी स्‍कूल में नहीं हो रहा था। लेकिन इनकी मां के प्रयासों से एक स्‍कूल में इनका दाखिला हुआ है। जिसके बाद इनकी पढ़ाई का सिलसिला शुरू हुआ।

दाखिला होने के बाद लाल सिंह चड्डा ने देखा कि उन्हें कोई भी अपना दोस्‍त नहीं बनाना चाहता है। क्‍योंकि वो मानसिक रूप से कमजोर हैं। ये उनके लिए एक धक्‍के के जैसा था। उस पूरे स्‍कूल में उनके केवल दो ही दोस्‍त थे। पहले दोस्‍त का नाम गुरूप्रीत था। जबकि उनकी एक दोस्‍त का नाम सिमरन था। उनके मानसिक रूप से कमजोर होने के चलते एक बार उनके स्‍कूल में दौड़ प्रतियोगिता आयोजित हो रही थी। जिसमें उन्‍हें चाहते हुए भी भाग नहीं लेने दिया गया था।

लेकिन जब स्‍कूल में दौड़ प्रतियोगिता आयोजित हो रही थी तो वो उसे देख जरूर रहे थे। इस दौरान उन्‍होंने देखा कि उनका दोस्‍त गुरूप्रीत दौड़ के बीच में ही चोटिल हो गया था। जिससे साफ था कि वो अब ये दौड़ नहीं जीत पाएगा। लिहाजा लाल सिंह चड्डा बीच में भागकर जाते हैं और अपने दोस्‍त को अपने कंधे पर उठाते हैं और दौड़ में उसे जीतवा देते हैं।

ये सब वहां बैठे लोग देख रहे होते हैं। ये सब देखकर वहाँ बैठे जज् और अन्‍य लोग काफी उत्‍साहित हुए। इसके बाद अपने स्‍कूल में लाल सिंह चड्डा को एक पहचान मिल गई थी। जिससे लोग उन्‍हें जानने लगे थे।

आगे चलकर वो कॉलेज आ गए और वहां भी उनके साथ वही भेदभाव देखने को मिला। क्‍योंकि वो मानसिक तौर पर कमजोर थे। लिहाजा उन्‍हें कोई भी अपना दोस्‍त नहीं बनाना चाहता था। लेकिन कॉलेज के अंतिम साल में उन्‍हें और उनके दोस्‍त गुरूप्रीत को आर्मी ज्‍वाइन करने का मौका मिला। हालांकि, गुरूप्रीत ने लाल सिंह चड्डा को बताया था कि वो अपने गांव में मिठाई की दुकान करना चाहता है। लेकिन घर वालों के दबाव में आकर वो अब आर्मी ज्‍वाइन कर रहा है।

इन तरह से दोनों दोस्‍तों ने आर्मी ज्‍वाइन कर ली। साथ ही लाल सिंह चड्डा की एक दोस्‍त सिमरन मुंबई चली गई। क्‍योंकि उसे गाने का शौक था और वो सिंगर बनना चाहती थी। लिहाजा सिमरन से लाल सिंह चड्डा का संपर्क टूट गया। लाल सिंह चड्डा सिमरन को मन ही मन बहुत ज्‍यादा पसंद करते थे। लेकिन कभी अपने मन की बात सिमरन को कह नहीं पाए थे।

इसके बाद जब लाल सिंह चड्डा आर्मी में नौकरी कर रहे होते हैं तो उसी दौरान भारत और पाक का युद्ध हो जाता है। इस युद्ध के दौरान ही एक बहुत जोरदार धमाका होता है। जिसमें सेना के कई जवान मारे जाते हैं। लेकिन लाल सिंह चड्डा को कुछ नहीं होता है। लिहाजा लाल सिहं चड्डा तुरंत अपने दूसरे साथियों को बचाने के लिए दौड़ते हैं।

जिससे वो काफी सारे लोगों को बचाने में कामयाब भी हो जाते हैं। लेकिन उस धमाके में वो देखते हैं कि उनका दोस्‍त गुरूप्रीत मर चुका होता है। उसकी मौत के साथ ही लाल सिंह चड्डा देखते हैं कि उसका वो सपना भी अधूरा हर जाता है जो कि उसने लाल सिंह चड्डा को बताया था कि वो आगे चलकर वो मिठाई की दुकान खोलना चाहता है। हालांकि, उनके इस साहस के लिए उन्‍हें परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया जाता है।

इसके बाद लाल सिंह चड्डा जब आर्मी के रिटायर होकर अपने घर आते हैं तो अपने दोस्‍त का सपना पूरा करना चाहते हैं। इसके लिए उन्‍होंने अपने ही गांव में अपने दोस्‍त गुरूप्रीत के नाम से एक दुकान खोली। जो कि उनके दोस्‍त के सपने को पूरा करने मात्र के लिए थी।

इसके बाद लाल सिंह चड्डा देखते हैं कि पंजाब में काफी बड़े स्‍तर पर दंगे शुरू हो जाते हैं। जिसमें काफी सारे लोग मारे जाते हैं। साथ ही लोगों की प्रॉप्रट्री को भी नुकसान पहुंचता है। लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इसमें लाल सिंह चड्डा की दुकान को जरा भी नुकसान नहीं होता है।

इसके बाद लाल सिंह चड्डा की मां बीमार हो जाती हैं और लाल सिंह चड्डा उस दुकान को गुरूप्रीत के पिता को सौप देते हैं। लेकिन इसके कुछ समय बाद ही उनकी मां भी इस दुनिया से चल बसती हैं। क्‍योंकि उन्‍हें कैंसर हुआ था।

इसके ठीक बाद लाल सिंह चड्डा के कॉलेज की दोस्‍त सिमरन की खबर आती है। क्‍योंकि सिमरन कॉलेज के ठीक बाद सिंगर बनने के लिए मुंबई चली गई थी। लेकिन वो वहां कुछ गलत लोगों के बहकावे में आ गई और कामयाब ना होने पर खुदखुशी करने चल दी। लेकिन उसे केवल कुछ चोटें आती हैं और वो बच जाती है। इसके बाद लाल सिंह चड्डा उसे अपने घर ले आते हैं। साथ ही अपने दिल की बात बताते हैं कि वो उसे कितना प्‍यार करते हैं।

लेकिन इसके बाद लाल सिंह को बिना बताए सिमरन एक दिन घर छोड़कर चली जाती है। जिससे लाल सिंह फिर से अकेले हो जाते हैं। इस अकेलेपन को दूर करने के लिए लाल सिंह पूरी दुनिया का चक्‍कर लगाने निकल पड़ते हैं। इस काम में लाल सिंह की काफी आलोचना भी होती है। लेकिन धीरे धीरे कुछ लोग लाल सिंह के साथ ही हो लेते हैं।

इसके बाद लाल सिंह की खबरें धीरे धीरे अखबारों और सोशल मीडिया में आने लगती हैं। ये बात सिमरन तक पहुंच जाती है और सिमरन लाल सिंह को बधाई देती है। इसके बाद लाल सिंह फिर एक बार सिमरन की तलाश में निकल पड़ता है। अंत में लाल सिंह सिमरन को तलाश लेता है। लेकिन तब तक सिमरन को एक लड़का हो चुका होता है।

इसके बाद सिमरन लाल सिंह को बताती है कि वो लड़का लाल सिंह का ही है। ये जानने के बाद लाल सिंह सिमरन से पूछते हैं कि कहीं उनका लड़का भी तो मानसिक रूप से कमजोर नहीं है। तो उन्‍हें सिमरन बताती है कि उनका बेटा पूरी तरह से ठीक है। इसके साथ ही सिमरन ये भी कहती है कि वो एक गंभीर बीमारी से जूझ रही है। जिसके चलते उसका थोड़ा ही जीवन बचा है।

इसके बाद सिमरन की कुछ समय बाद मौत हो जाती है। फिर लाल सिंह और उनका लड़का मिलकर आगे का जीवन बिताते हैं। इसी तरह से लाल सिंह चड्ढा कौन थे ये कहानी खत्‍म हो जाती है।

FAQ

लाल सिंह चड्ढा कौन थे?

लाल सिंह चड्डा मानसिक तौर पर कमजोर एक युवा थे। जिससे उनके साथ कोई भी दोस्‍ती नहीं करना चाहता था।

लाल सिंह चड्डा ने क्‍या किया था?

लाल सिंह चड्डा ने अपने जीवन में आर्मी की नौकरी के दौरान धमाके के बीच में जाकर अपने दोस्‍तों की जान बचाई थी। जिसके चलते उन्‍हें ‘परमवीर चक्र’ से सम्‍मानित किया गया था।

लाल सिंह चड्डा पर कौन सी फिल्‍म बनी है?

लाल सिंह चड्डा के जीवन को कहानी को बताने के लिए आमिर खान ने लाल सिंह चड्डा नाम से फिल्‍म बनाई है। जो कि आज भी काफी पसंद की जाती है।

लाल सिंह चड्डा से हम क्‍या सीख सकते हैं?

लाल सिंह चड्डा से हम सीख सकते हैं कि हमें किसी के साथ कभी भी भेदभाव नहीं करना चाहिए। साथ ही किसी को कम भी नहीं आकना चाहिए।

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Conclusion

आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि लाल सिंह चड्ढा कौन थे। साथ ही उनके जीवन की क्‍या कहानी है और उन्‍होंने क्‍या साहस दिखाया था। जिससे उनके ऊपर एक फिल्‍म बनी। लाल सिंह चड्डा भले आज इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनकी कहानी के माध्‍यम से हजारों लाखों साल तक लोग इसी तरह से प्रेरणा लेते रहेंगे। All In Hindi की पूरी टीम लाल सिंह चड्डा को आज सलाम करती है।

उम्र में युवा और तजुर्बे में वरिष्ठ रोहित यादव हरियाणा के रहने वाले हैं। पत्रकारिता में डिग्री रखने के साथ इन्होंने अपनी सेवाएं कई मीडिया संस्थानों को दी हैं। फिलहाल ये पिछले लंबे समय से अपनी सेवाएं 'All in Hindi' को दे रहे हैं।

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