मौसम का पूर्वानुमान कैसे किया जाता है? | Mausam ka Purvanuman

मौसम का पूर्वानुमान कैसे किया जाता है?

Mausam ka Purvanuman: पुराने समय में हमारे दादा दादी आसमान देखकर बता देते थे कि बारिश कब होने वाली है और कितनी होने वाली है। लेकिन दादा दादी की उम्र ढलने के साथ ही मानो ये तरीका भी बूढ़ा हो गया। आज के समय में हमारे पास तमाम सेटेलाइट और मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाले तमाम उपकरण मौजूद हैं। जो कि एक सप्‍ताह पहले ही बता देते हैं। कि बारिश कब और कहां कितनी मात्रा में होने वाली है। खास बात ये है कि ये तरीका बेहद सटीक भी होता है।

लेकिन यदि आप जानना चाहते हैं कि आखिर मौसम विभाग कैसे पता लगाता है कि आज कहां बारिश होने वाली है और कहां गर्मी पड़ने वाली है। तो आप हमारी इस पोस्‍ट को अंत तक पढि़ए। अपनी इस पोस्‍ट में हम आपको विस्‍तार के बताएंगे कि मौसम विभाग मौसम का पूर्वानुमान कैसे लगाया जाता है।

मौसम विभाग क्‍या होता है?

मौसम विभाग की भारत में स्थापना साल 1875 में हुई थी। इसका मकसद ये था कि जब भी देश में कहीं बारिश या आंधी तूफान आने वाला हो तो उसका पहले पता लगाया जा सके यानि Mausam ka Purvanuman लगाया जा सके। ताकि राहत और बचाव के काम को अच्‍छे से पूरा किया जा सके। साथ ही हमारे देश के जो किसान हैं उन्‍हें जानकारी मिल सके कि कब बारिश आएगी। ताकि वो अपने खेतों में पानी उसी हिसाब से दें।

लेकिन आज तकनीक ने इस काम को बेहद आसान बना दिया है। आज जहां मौसम विभाग के पास आधुनिक यंत्र हैं तो वहीं आम आदमी के हाथ में मोबाइल हैं। जिससे आलम ये है कि आज लोग जब किसी यात्रा या घूमने फिरने की तैयारी करते हैं तो सबसे पहले आने वाले दिनों के मौसम को देखकर अपनी यात्रा का प्‍लान बनाते हैं।

यदि हम आज के समय की बात करें तो मौसम विभाग अपना बुलेटिन हर 24 घंटे में जारी करता है। साथ ही राज्‍यवार और साप्‍ताहिक बुलेटिन भी मौसम विभाग जारी करता है। यदि कहीं बाढ़ या तूफान आने की संभावना रहती है तो ये वहां का मौसम अनुमान बताने के लिए मौसम विभाग पूरे 24 घंटे भी काम करता है। ताकि जान माल का नुकसान कम से कम हो।

मौसम का पूर्वानुमान

कैसे किया जाता है मौसम का पूर्वानुमान?

मौसम का पूर्वानुमान लगाने के लिए हमारे मौसम विभाग के पास तमाम तरह के सेटेलाइट मौजूद हैं जो आसमान से बादलों की तस्‍वीर लगातार देते रहते हैं। जिससे मौसम विभाग में बैठे लोग देखते हैं कि इस दौरान किस जगह सबसे ज्‍यादा बादल हैं। साथ ही किस जगह बादल एकदम नहीं हैं।

लेकिन इन बादलों को देखकर केवल इतना अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस जगह आज धूप निकलेगी और इस जगह दिनभर बादल छाए रहेंगे। इससे कभी भी बारिश का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। क्‍योंकि बारिश इस बात पर निर्भर करती है कि बादलों के अंदर कितना पानी हे। बिना पानी के कभी भी बरसात नहीं हो सकती है।

मौसम विभाग बारिश का अंदाजा कैसे लगाता है?

हमने आपको ऊपर बताया कि कैसे आकाश से सेटेलाइट बादलों की तस्‍वीर मौसम विभाग के पास भेजते हैं। इसके बाद मौसम विभाग के लोग देखते हैं कि ये बादल देश के किस हिस्‍से में मौजूद हैं। अब इस जानकारी को समझने के लिए कि इन बादलों में कितना पानी मौजूद हैं। इसके लिए मौसम विभाग के पास हमारे पूरे देश में लगभग 55 डिश एंटीना लगे हुए हैं। जो कि धरती पर से आकाश की तरफ अपनी रडार छोड़ते हैं।

इसके बाद‍ उस रडार के भेजी गई तरंगें बादलों से टकरा कर वापिस आती हैं। जिसके बाद उनका अध्‍यन्न किया जाता है और पता लगाया जाता है कि जिन बादलों से ये तरंग टकरा कर वापिस आई है उनके अंदर कितना पानी मौजूद है। इसी को आधार मानते हुए मौसम विभाग Mausam ka Purvanuman जाहिर करता है कि आज कहां कितनी बारिश आने की संभावना है।

शायद आपको ये सब जानकर ऐसा भी लग रहा होगा कि ये तो बेहद लंबी प्रक्रिया होती होगी। ऐसे में इसमें कई घंटों का समय भी लग जाता होगा। तो हम आपको बता दें ये सब काम कंम्‍प्‍यूटर पर अपने आप होता है जिससे इस काम में महज कुछ मिनट का समय लगता है। लेकिन मौसम विभाग कई घंटों की गतिविधि का पहले आकलन करता है तभी जाकर मौसम का पूर्वानुमान जारी करता है।

यहां हम आपको एक और बात बता दें कि बहुत से लोगों का मानना होता है कि रडार की तरंगें बादलों के आ जाने से रूक नहीं सकती हैं। क्‍योंकि यदि ऐसा हुआ तो जो रडार हमारी सीमाओं पर लगे हैं वो फिर दुश्‍मन के जहाज को कैसे पकड़ पाएंगे। लेकिन हम आपको बता दें कि रडार भी कई प्रकार के होते हैं। जिसमें कुछ रडार ऐसे भी होते हैं जो कि बादलों के पार नहीं जा सकते हैं। जबकि हमारी सीमाओं पर जो रडार लगे रहते हैं वो बादलों के पार तक भी आसानी से देख सकते हैं।

Mausam ka Purvanuman

मौसम विभाग कितने तरह के अलर्ट जारी करता है?

Mausam ka Purvanuman लगाकर मौसम विभाग तीन तरह के अलर्ट जारी करता है।

Yellow alert

मौसम विभाग की तरफ से जारी किया जाने वाला पहला अलर्ट है येलो अलर्ट होता है। जो कि बेहद सामान्‍य अलर्ट होता है। इसका मतलब ये होता है कि आपको थोड़ा सचेत रहने की जरूरत है। जैसे कि आप कहीं जा रहे हैं तो अपनी छतरी वगैरह लेकर जाएं। किसी लबी यात्रा पर जा रहे हैं तो उसे टाल दें। किसान भाई यदि खेतों में पानी देने जा रहे हैं तो एक दो दिन रूक जाएं।

Orange Alert

ये अलर्ट आपको सावधान करने के लिए जारी किया जाता है। इसका मतलब ये होता है कि आप सावधान होकर रहें। अपने कामकाज में मौसम को देखते हुए बदलाव कर दें। घर से बाहर कहीं दूर ना जाएं। मौसम खराब होने से जुड़ी अपनी पूरी तैयारी कर लें। साथ ही इससे सरकारी कर्मचारी भी अलर्ट हो जाते हैं। ताकि बिजली, पानी जैसी मूलभूत जरूरतों को रूकने ना दिया जाए। क्‍योंकि कई बाद ब‍ारिश के दौरान लोगों को इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

Red Alert

मौसम विभाग का ये सबसे अंतिम और बेहद खतरे वाला अलर्ट होता है। इसका मतलब ये होता है कि आने वाले समय में मौसम बेहद खराब होने वाला है आप अपने स्‍तर पर पूरी तैयारी कर लें। अपने घर पर खाने पीने से जुड़ी सभी चीजें लाकर रख लें। यदि कोई किसी दूसरे के शहर में है तो उसे तुरंत घर पर बुला लें। अपनी सभी यात्राएं टाल दें। ताकि आपको बीच में पेरशानी ना हो। हालात को देखते हुए कई बार सरकार भी ऐसे अलर्ट के चलते अपनी NDRF की टीम मैदान में उतार देती है। ताकि यदि कोई विपरीत हालात पैदा हों तो उससे असानी से निपटा जा सके।

मौसम विभाग बारिश को कैसे मापता है?

आपने अखबारों और टीवी पर कई बार देखा होगा कि आज शहर में इतने MM बारिश दर्ज की गई। लेकिन आपने कभी सोचा है कि आखिर ये बारिश कौन मापता है। इसके लिए भी मौसम विभाग के पास एक बेहद साधारण सा तरीका होता है। वो तरीका ये होता है कि मौसम विभाग हर शहर में एक बाल्‍टी नुमा एक बड़ी सी कीप हर शहर में रख देता है।

जो कि किसी ऐसे स्‍थान पर रखी जाती है जहां ना तो कोई बड़ी इमारत हो, ना ही कोई बड़ा पेड़ हो। ताकि इस कीप में बारिश का पूरा पानी अच्‍छे से गिर सके। इसके बाद जब भी बारिश आती है तो इस कीप में पानी भरता रहता है। इसी कीप के अंदर MM में नंबर लिखे होते हैं। ठीक उसी तरह जैसे बच्‍चों के Scale पर cm लिखे होते हैं।

इसके बाद जब भी बारिश शुरू होती है तो इसे भरने दिया जाता है और जब बारिश रूकती है तो मौसम विभाग के लोग आकर इसमें देख लेते हैं कि इसमें जो पानी भरा है वो कितने MM तक भरा है। बस अब यही डाटा मौसम विभाग जारी कर देता है कि आज शहर में इतने MM बरसात हुई। यदि आप चाहें तो इस कीप खुद भी खरीद कर अपने घर पर ब‍ारिश के पानी का माप ले सकते हैं।

सामान्‍य तौर पर मौसम विभाग इसका माप जब बारिश होती है तो 24 घंटे में एक बार यानि शाम को पांच बजे लेता है। लेकिन बरसात के मौसम में दिन में दो बार भी मौसम विभाग माप लेता है। पहला माप सुबह 8 बजे और दूसरा माप शाम को 5 बजे लेता है। ताकि बारिश के MM का अंदाजा सही से लगाया जा सके।

https://www.youtube.com/watch?v=WPgfpJ_Qhsw

क्‍यों कई बार Mausam ka Purvanuman गलत हो जाता है?

आपने कई बाद ये भी देखा होगा कि मौसम विभाग किसी शहर में बारिश की संभावना जारी करता है। परन्‍तु उस समय उस जगह बारिश नहीं होती है या उतनी तेज नहीं होती है। ऐसे में आपके जहन में ये बात जरूर आई होगी कि आखिर मौसम विभाग का अनुमान गलत कैसे हो जाता है। जबकि आज के समय में इतने बड़े यंत्र और सेटेलाइट हैं फिर भी।

इसका जवाब ये हैं कि मौसम विभाग के पास अभी ऐसे रडार जो कि घरती से बादलों तक अपनी तरंगे भेजते हैं वो केवल 55 के लगभग ही हैं। जो कि ज्‍यादातर ऐसे शहरों में लगे हैं जहां बारिश का अनुमान लगाना सबसे जरूरी होता है। जबकि जिन इलाकों में ये रडार नहीं लगे हुए हैं वहां दूसरी जगह के अनुमान से ही मौसम विभाग आने वाले मौसम का अनुमान जारी कर देता है।

उस शहर के ऊपर मौजूद बादलों की स्‍थिति का देखा नहीं जा सकता है। ऐसे में कई बार  मौसम का पूर्वानुमान द्वारा जब हवाओं की दिशा या अनुमान गलत लग जाता है तो आने वाले समय में मौसम विभाग वहां के लिए जैसी चेतावनी जारी करता है। बिल्‍कुल उसी तरह का मौसम वास्‍तव में वहां देखने को नहीं मिलता है।

Conclusion

हालाकिं मौसम का पूर्वानुमान काफी हद तक सही होता है, परन्तु अंदाजा एक ऐसा शब्द है जो किसी भी बात की गारंटी नहीं देता। इसलिए मौसम विभाग अपने मौसम का पूर्वानुमान की रिपोर्ट में हमेशा संभावना शब्द का प्रयोग करता है।

आज की यह जानकारी जो मौसम का पूर्वानुमान से सम्बंधित थी, आपको कैसी लगी हमें कमेंट में जरुर बताये।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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