NATO kya hai? | नाटो फुल फॉर्म | नाटो में कितने सदस्य देश है

NATO kya hai? | नाटो फुल फॉर्म

NATO kya hai?- नाटो (NATO) यानी उत्तर अटलांटिक संधि संगठन उत्तरी अमेरिका और यूरोप का एक साझा राजनैतिक और सैन्य संगठन है। अगर आसान शब्दों में कहूं तो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कुछ देशों ने मिलकर एक समूह बनाया जिसका काम एक दूसरे की सुरक्षा करने के लिए सैन्य सहायता करना है।

तो आइए आज के इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि नाटो (NATO) क्या है? नाटो फुल फॉर्म और  इसका क्या काम है? नाटो समूह में कौन-कौन से देश शामिल है? इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है? इत्यादि के बारे में,

NATO kya hai? – What is NATO?

नाटो क्या है?- आसान भाषा में कहा जाए तो ’30 एक सैन्य संगठन है जो एक दूसरे सैन्य बल से सहायता देते हैं। अगर नाटो समूह के 30 में से किसी भी एक सदस्य के ऊपर अन्य आदेश आक्रमण करता है तो यह नाटो समूह पर हमला माना जाता है। ऐसी स्थिति में पूरे नाटो समूह का सैन्य बल आप उस देश को बचाने के लिए लगा दिए जाते हैं।

एक लाइन में अगर कहूं तो “यूरोप के देशों ने मिलकर एक दूसरे की सुरक्षा करने वाला एक समूह तैयार किया है। जिसे ‘नाटो’ कहा जाता है।

NATO की स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। इसका मुख्य कार्यालय मुख्य कार्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स मैं है।

नाटो फुल फॉर्म

नाटो फुल फॉर्म इन इंग्लिश – North Atlantic Treaty Organization

नाटो फुल फॉर्म इन हिन्दी- उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन

नाटो (NATO) का पूरा ‘North Atlantic Treaty Organization’ है। इसका हिंदी अनुवाद “उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन” है। नाटो को North Atlantic Alliance के नाम से भी जाना जाता है।

नाटो क्या है

नाटो की स्थापना क्यों हुई थी ?

  • जब दूसरा विश्वयुद्ध खत्म हुआ,तब पूरी दुनिया यह चाहती थी कि ऐसी घटना भविष्य में फिर कभी भी ना हो इसके लिए UN की स्थापना हुई। जिसे ‘संयुक्त राष्ट्र’भी कहा जाता है। जो हर देश से सर्वोपरि है। यानी कि हर देश का बॉस ! इसका मकसद दुनिया में शांति बनाए रखना है।
  • इस संगठन को मजबूत करने के लिए इसकी अपनी सेना का भी गठन किया। बाद में कई देशों ने अपने अपने अलग से सेना मिला कर एक गठन बनाया जिसे नाटो के नाम से जाना जाता है। इस संगठन में शामिल हुए राष्ट्र ने यह तय किया कि “वह एक दूसरे को सैन्य बल से सहायता करेंगे तथा युद्ध की स्थिति में भी सैन्य बल की सहायता करेंगे”।
  • नाटो की स्थापना करने का दूसरा मुख्य सबसे बड़ा कारण यह है कि दूसरा विश्वयुद्ध में यूरोपियन देशों ने भारी नुकसान उठाया था। इसके लिए उन्हें अपने कमजोर होने का भय सता रहा था। इसके लिए उन्होंने सभी देशों को मिलाकर एक मजबूत संगठन बनाया ताकि उनकी एकता ही ताकत बने।

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नाटो (NATO) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

  • नाटो देश के सदस्यों पर कोई हमला करे तो उसकी रक्षा करना।
  • रसिया के पश्चिमी यूरोप में विस्तारवाद को रुकना।
  • सैन्य और आर्थिक विकास हेतु अलग-अलग कार्यक्रम चलना।
  • पश्चिमी देशों को एक साथ रखना।
  • साम्यवाद का प्रसार रुकना।
  • नाटो में शामिल कमजोर देशों को कोई ताकतवर देश दबाना दे,इसका ध्यान रखना।

नाटो की संरचना

नाटो की बनावट का मुख्य 4 भाग है इन सभी भागों का अलग-अलग काम है।

नाटो की संरचना के मुख्य 4 भाग

  1. परिषद
  2. उप परिषद
  3. प्रतिरक्षा समिति
  4. सैनिक समिति

इन सभी भागों के विषय में थोड़ी जानकारी ले लेते हैं।

1. परिषद

यह नाटो का प्रमुख भाग है। यहां सभी देशों के प्रधानमंत्रियों का समूह है। समय-समय पर सभी प्रधानमंत्रियों की बैठक होती है। प्रमुख फैसले यही से किए जाते हैं

2. उप परिषद

इस परिषद में कूटनीति में माहिर लोगों को शामिल किया जाता है। यह किसी भी विवाद या किसी भी समस्या को लेकर कूटनीति बनाते है।

3. प्रतिरक्षा समिति

उपनिषद के बनाए गए कूटनीति पर विचार करने का काम प्रति रक्षा समिति करती है। वह उपनिषद के बनाए गए कूटनीति पर सुधार करने का भी सलाह देती है।

4. सैनिक समिति

इस समिति में नाटो देश के सभी सेनाअध्यक्ष शामिल होते हैं। और यह नाटो समिति के सलाहकार के रूप में काम करते हैं।

नाटो (NATO) में कुल कितने सदस्य देश है?

जब 4 अप्रैल 1949 के दिन नाटो का गठन किया गया तब उस समय केवल 12 ही सदस्य है। जिसमें संयुक्त राष्ट्र अमेरिका,ब्रिटेन, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस, कनाडा, इटली,डेनमार्क जैसे देश शामिल हुए।

  • कुछ देश शीत युद्ध से पहले शामिल हो गए थे जैसे कि स्पेन,पश्चिमी जर्मनी, टर्की, यूनान जैसे देश।
  • कुछ देश शीत युद्ध के बाद शामिल हुए थे जैसे कि पोलैंड, हंगरी
  • 2004 और 2007 के बाद कुछ और देशों को भी इसमें शामिल किया गया।
  • “वर्तमान समय में नाटो समिति में कुल 30 सदस्य देश हैं”।

नाटो(NATO) की स्थापना से दुनिया पर क्या प्रभाव पड़ा

  • नाटो की स्थापना से यूरोपियन देशों में सुरक्षा की भावना बढ़ी और ताकतवर देशों से डर की भावना खत्म हुई।
  • यूरोप के देशों ने अपनी अपनी सेना अंतरराष्ट्रीय सैन्य संगठन को अधीनता में रहने का स्वीकार किया।
  • अमेरिका ने जिन देशों को जो नाटो में शामिल नहीं है उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया उन्होंने अपने आर्थिक और सैन्य विकास किया।
  • यूरोपियन देशों में नाटो की वजह से अमेरिका का हस्तक्षेप बढ़ा।

सवाल जवाब

नाटो (NATO) की स्थापना कब हुई?

नाटो की स्थापना अप्रैल 1949 को हुई थी। जिस पर 12 देशों ने हस्ताक्षर किये थे।

नाटो (NATO) का मुख्यालय कहां है?

नाटो का मुख्य कार्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स मैं है।

नाटो के सदस्य देशों में कौन शामिल है?

बेल्जियन, कैनेडा, डेनमार्क, फ्रांस, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूके, यूएस, ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणतंत्र, हंगरी, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, पॉलैंड, बलगैरिया, इस्टोनिया, आइसलैंड, इटली, लक्समबॉर्ग, नीदरलैंड, लातविया, इथुआनिया, रोमानिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तरी मैसेडोनिया.

क्या भारत नाटो का सदस्य है?

नहीं, भारत नाटो (NATO) का सदस्य नहीं है।

क्या पाकिस्तान नाटो का सदस्य है?

नहीं पाकिस्तान नाटो का सदस्य नहीं है।

भारत नाटो का सदस्य क्यों नहीं है?

विश्व युद्द के बाद पूरा विश्व सिर्फ शक्तिशाली संगठन में बंट चूका था। भारत देश हमेशा से गुटनिरपेक्षा से दूर रहा है, इसलिए भारत कभी भी नाटो का सदस्य नहीं बना।

Conclusion

आशा करता हूं कि नाटो क्या है? इसकी स्थापना क्यों हुई थी? इसका मुख्य उद्देश्य क्या है? इसमें कौन-कौन से देश हैं? यह सब आपको समझ आ गया होगा आपको इस विषय से जुड़ा कोई भी सवाल हो तो हमें कमेंट करके जरूर बताइए।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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