पत्र कितने प्रकार के होते हैं? Patra ke 2 prakar likhiye

पत्र कितने प्रकार के होते हैं?

Patra kitne prakar ke hote hai: पत्रों का चलन भले ही आज कम हो गया है। लेकिन हम से बहुत से लोग ऐसे होंगे जो कि आज भी कई बार डाक से पत्र भेजने जरूर जाते होंगे। खास तौर पर यदि हम सरकारी विभागों की बात करें तो वहां पर अभी भी पत्रों का चलन बहुत ज्‍यादा है। ऐसे में यदि आप अभी त‍क नहीं जानते हैं‍ कि पत्र कितने प्रकार के होते हैं? उन्‍हें किस तरह से लिखा जाता है? तो हमारे इस लेख को अंत तक पढि़ए।

अपने इस लेख में हम आपको बतांएगे कि पत्र कितने प्रकार के होते हैं। साथ ही एक अच्‍छा पत्र लिखते समय किस तरह की भाषा का प्रयोग किया जाता है।

पत्र क्‍या होता है?

पत्र कितने प्रकार के होते हैं इसके बारे में हम आपको विस्‍तार से जानकारी दें इससे पहले आइए आपको बताते हैं कि पत्र क्‍या होता है। दरअसल, पत्र को हम आसान भाषा में चिठ्ठी या डाक भी कह देते हैं। इसे आप ठीक उसी तरह का समझ सकते हैं जैसे कि आप के जमाने में हम लोग किसी को ईमेल भेजते हैं। बस ईमेल को हम आज इंटरनेट की मदद से तुरंत भेज सकते हैं। जबकि पत्र डाक के जरिए कई दिन में पहुंचता है।

हमारे दादा दादी के जमाने में पत्रों के जरिए ही एक दूसरे का हाल चाल पता चलता था। आपको जानकर हैरानी होगी कि पुराने जमाने में किसी को विवाह, मृत्‍यु या कोई अन्‍य समाचार भेजना होता था, तो किसी पढ़े लिखे आदमी से चिठ्ठी लिखवा ली जाती थी। इसके बाद उसे डाक के जरिए भेज दिया जाता था। इसके 20 से 25 दिन बाद सामने वाले को वो पत्र मिल जाता था। इसलिए कहा जाता है कि हम आज सूचना क्रांति के युग में जी रहे हैं। जहां पलक झपकते ही हम अपना संदेश सात समुंदर पार बैठे इंसान को भी पहुंचा सकते हैं।

पत्र के कितने प्रकार होते हैं? | Patra kitne prakar ke hote hai

patra kitne prakar ke hote hai

पत्र के प्रमुख रूप से दो प्रकार होते हैं। दोनों ही प्रकार का प्रयोग हम लोग अपने जीवन में कई बार करते हैं।

  • औपचारिक पत्र
  • अनौपचारिक पत्र

औपचारिक पत्र

आइए सबसे पहले हम आपको बताते हैं‍ कि औपचारिक पत्र क्‍या होता है। यह एक ऐसा पत्र होता है जो कि आमतौर पर सरकारी विभागों में काम में लिया जाता है। कई बार ये पत्र सरकारी विभाग की तरफ से आम आदमी को भेजा जाता है, तो कई बार आम आदमी खुद औपचारिक पत्र सरकारी विभाग में भेजता है।

इसे कई बार हम लोग आम भाषा में कार्यालय पत्र भी कहते हैं। इसी तरह यदि आप किसी विभाग में नौकरी करते हैं तो आपको छुट्टी, बीमार होने से संबधित पत्र विभाग में भिजवाना होता है। जबकि सरकारी विभाग की तरफ से ये पत्र तब भेजा जाता है जब किसी बात पर सहमति बन गई हो और एक पत्र जारी करके उसकी औपचारिक घोषणा करनी होती है।

इसे ही औपचारिक पत्र कहते हैं। कई बार इसे देश के किसी नामी व्‍यक्‍ति की मृत्‍यु होने पर भी सरकारी विभागों की तरफ से शौक के तौर पर औपचारिक पत्र जारी किया जाता है। इसकी खास बात ये होती है कि इसकी भाषा शैली बेहद ही नपी तुली होती है।

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औपचारिक पत्र लिखते समय ध्‍यान रखने योग्य बातें

आइए अब हम आपको बताते हैं कि यदि आप एक सरकारी विभाग या किसी और जगह औपचारिक पत्र लिखने जा रहे हैं, तो आप किन बातों का ध्‍यान रखें। ताकि ना सिर्फ आपके पत्र को पढ़ा जाए, बाल्कि उसमें लिखी बात पर गौर भी किया जाए।

  • जब भी आप औपचारिक पत्र लिखें तो केवल एक भाषा का ही प्रयेाग करें। जैसे या तो हिंदी में लिखें या अंग्रेजी में। कभी भी दोनों भाषा मिलाकर ना लिखें। इससे आपका कोई भी काम कभी भी नहीं होगा।
  • पत्र लिखने के दौरान आप आम बोलचाल की भाषा का प्रयेाग ना करके सरकारी विभागों की शब्‍दावली का प्रयोग करें। यदि आपको इनका ज्ञान ना हो तो इसे इंटरनेट पर देख लें।
  • औपचारिक पत्र लिखते समय बात को घुमाने फिराने की बजाय आप उसे सीधा और स्‍पष्‍ट लिखें। ताकि कम समय में बात के भावार्थ को समझा जा सके। इसलिए बेहतर होगा कि आप हमेशा अपनी पूरी बात 1 पेज पर ही लिख दें।
  • औपचारिक पत्र में बातों की बजाय तथ्यों पर बल दें। साथ ही संभव हो उसकी भी प्रति या दिनांक सहित बात करें।
  • कोशिश करें कि औपचारिक पत्र के हमेशा टाइप करके भेजें। लेकिन यदि ऐसा संभव ना हो तो आप पेन से साफ साफ लिखें। ताकि पढ़ने वाले को परेशानी ना हो।
  • पत्र में अपना और भेजने की वाले की जगह का नाम पता सही से लिखें। साथ ही यदि आप उसका जवाब चाहते हैं तो वापसी का पता भी अवश्‍य लिखें। ताकि विभाग की तरफ से उसका जवाब डाक के जरिए भेजा जा सके।
  • यदि आप अपना पत्र खुद हाथ से देकर आ रहे हैं, तो अपना डायरी नंबर जरूर ले लें। इससे आगे आप उससे संबधित जानकारी ले सकते हैं।

अनौपचारिक पत्र

आइए अब हम आपको बताते हैं कि अनौपचारिक पत्र कब लिखा जाता है और ये क्‍या होता है। लेकिन आज के समय में इसका चलन बेहद कम हो गया है। इसे केवल उन क्षेत्रों में अब भेजा जाता है। जहां आज भी या तो इंटरनेट और फोन की सुविधा नहीं है। या सेना आदि में जो लोग नौकरी करते हैं और वहां फोन जैसी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं।

ऐसे में उनके परिजन उनका कुशल मंगल जानने के लिए पत्र का सहारा लेते हैं। लेकिन यदि हम कुछ दशक पहले की बात करें तो इस तरह से पत्र सूचना का सबसे सस्‍ता और बेहतर माध्‍यम के तौर पर जाने जाते थे।

अनौपचारिक पत्र लिखते समय ध्‍यान रखने योग्य बातें

  • हमेशा अनौपचारिक पत्र उसी भाषा में लिखें जिस भाषा को आपका दोस्‍त या पाने वाला समझ सके। फिर चाहे वह हिन्‍दी हो या अंग्रेजी या कोई और भाषा। साथ ही अपने पत्र की शब्‍दावली इस तरह की रखें कि पांचवी पास व्‍यक्ति भी आसानी से उसे समझ सके।
  • अनौपचारिक पत्र लिखते समय हमेशा अपने दिल की बात लिखें, ना कि केवल खाना पूर्ति करें। जिससे सामने वाले को पढ़ते समय लगे कि इस पत्र को पूरी भावना के साथ भेजा गया है।
  • यदि विवाह या बच्‍चे के जन्‍म की खुशखबरी का संदेश आप भेज रहे हैं। तो आपको चाहिए कि आप पत्र के साथ विवाह का कार्ड या बच्चे की तस्‍वीर भी जरूर भेजें।
  • औपचारिक पत्र में ना तो कोई शब्‍द सीमा होती है ना ही पेजों की कोई सीमा होती है। इसलिए कोशिश करें कि आप एक पत्र में ज्‍यादा से ज्‍यादा बात लिख दें। कभी भी अनौपचाकि पत्र संक्षिप्‍त में ना लिखें।
  • अनौपचारिक पत्र में हमेशा अंत में पत्र प्राप्‍त होने पर जवाब और कुशल मंगल की कामना अवश्‍य करें।
  • यदि आप अपने प्रेमी या प्रेमिका को अनौपचारिक पत्र लिख रहे हैं। तो उसके अंदर अपनी एक तस्‍वीर या गुलाब के फूल के कुछ अंश भी रख दें। इससे आपका प्‍यार और मजबूत होगा।
  • अनौपचारिक पत्र में यदि आप कहीं मात्रा वगैरह की गलती भी कर देते हैं तो भी इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। बस सामने वाले की बात आपको समझ में आनी चाहिए।

अच्‍छा पत्र कैसे लिखें

पत्र कितने प्रकार के होते हैं यह जानने के बाद आइए अब हम आपको कुछ ऐसे बिंदु बताते हैं जिनका प्रयोग करके आप दोनों में से किसी तरह का भी अच्‍छा पत्र लिख सकते हैं। इसलिए जब भी आप पत्र लिखें तो इनका ध्‍यान अवश्‍य रखें।

  • पत्र लिखने से पहले ये सबसे जरूरी है कि आपको भाषा का सही ज्ञान हो। यदि ऐसा नहीं है तो आप किसी और से पत्र लिखवा लें। अन्‍यथा आपका एक गलत शब्‍द अर्थ का अनर्थ कर सकता है।
  • किसी भी पत्र के अंत में आप अपना हस्‍ताक्षर अवश्‍य करें। इससे सामने वाले को पता चल सके कि सामने वाले को जो पत्र मिला है वो आपके द्वारा ही भेजा गया है। अन्‍यथा कोई दूसरा इंसान सामने वाले को ब्‍लैकमेल तक कर सकता है।
  • किसी भी तरह के पत्र में आप कभी भी मजाक का कोई झूठी बात ना लिखें। ये आपको किसी भी बड़ी मुश्किल में डाल सकता है। क्‍योंकि पत्र भेजने और प्राप्‍त करने की प्रक्रिया बहुत लंबी होती है। इसलिए संभव है कि आप अपनी गलती सुधार ही ना पाएं।
  • पत्र के अंदर कभी भी पैसे या किसी बेहद महत्‍वपूर्ण जानकारी को कभी ना दें। जैसे कि बैंक या किसी ऐसी चीज की जानकारी। जिससे यदि वो किसी गलत हाथ में लग जाए तो उसका गलत फायदा उठा सके। क्‍योंकि कई बार पत्र गलत जगह भी पहुंच जाते हैं। इसलिए ऐसी बातें हमेशा आमने सामने बैठकर ही करें।
  • आपके पास कोई पत्र आए या भेजें तो उसे पढ़ने के बाद आप या तो संभाल कर रखें या उसे जला दें। इससे उसके दुरूपयोग होने की संभावना समाप्‍त हो जाती है।
  • क्‍योंकि पत्र को घर का कोई भी सदस्‍य ले सकता है। इसलिए पत्र के अंदर कभी भी कोई ऐसी बात ना लिखें जिससे यदि वो परिवार का कोई दूसरा सदस्‍य पढ़ लेता है, तो संबध खराब होने का डर हो।

आज आपने जाना कि पत्र कितने प्रकार के होते हैं, इसके साथ हमने आपको यह भी बताया कि अच्‍छा पत्र कैसे लिखें। आशा है अब आप Patra kitne prakar ke hote hai यह समझ चुकें होंगे। आप इस लेख के प्रति अपने विचार कमेन्ट में लिखकर बता सकते है।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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