Sacha dharm kon sa hai | सबसे सच्चा धर्म कौन सा है?

Sacha dharm kon sa hai | कौन सा धर्म सही है?

आज इस लेख के माध्यम से यह जानेगे कि “Sacha dharm kon sa hai”, तो यदि आप भी यह जानना चाहते है कि सच्चा धर्म कौन सा है, तो आप इस लेख को अंत तक पढ़ें, और अंत में आपको यह यकीनन ज्ञात हो जायेगा कि दुनिया का सबसे सच्चा धर्म कौन सा है और कौन सा कौन सा धर्म सही है।

हम सभी लोग किसी ना किसी धर्म से लाल्‍लुक जरूर रखते हैं। क्‍योंकि धर्म हमें हमारी पुरानी पीढ़ी के जरिए ही दिया गया होता है। इसलिए इसमें हमारा कोई योगदान नहीं होता है। लेकिन फिर भी बहुत से लोग जीवन के बीच में ही अपना धर्म परिवर्तन कर लेते है। क्‍या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे उनकी वजह क्‍या होती है? दरअसल, उनका मानना होता है कि जिस धर्म में वो फिलहाल हैं वो धर्म सही नहीं हैं। जबकि जिस धर्म में वो जाना चाहते हैं वो धर्म उससे कहीं बेहतर हैं।

ऐेसे में आपके जहन में भी ये सवाल जरूर आया होगा कि सच्‍चा धर्म आखिर कौन सा है। उसकी क्‍या पहचान होती है? साथ ही उसे कौन अपना सकता है? तो चलिए आपको हम अपने इस लेख में इन सभी सवालों के जवाब देते हैं।

धर्म क्‍या होता है?

Sacha dharm kon sa hai, इस बारे में हम आपको बताएं इससे पहले आइए आपको जानकारी देते हैं कि आखिर धर्म होता क्‍या है।

धर्म एक धार्मिक विशेष होता है। जिसके कुछ Symbol और विचारधारा होती है। जो भी इंसान उस धर्म को अपनाता है उसके लिए जरूरी होता है। कि वो उस धर्म में बताए गए सभी नियमों का पालन करे साथ ही उसकी विचारधारा पर चले।। अन्‍यथा माना जाता है कि वो अपने धर्म का अपमान कर रहा है।

साथ ही कई बार इसकी उसे सजा भी दी जाती है और उसे पाप भी लगता है। इसलिए कोई भी दूसरा धर्म अपनाने से पहले हर इंसान पूरी तरह से विचार विमर्श कर लेता है। ताकि आगे चलकर उसे समस्‍या ना हो। क्‍योंकि धर्म हम हर रोज नहीं बदल सकते हैं।

सच्चा धर्म कौन सा है

हमें धर्म कब मिलता है?

आप में से बहुत से लोग सिर्फ ये जानते होंगे कि उनका कौन सा धर्म है। लेकिन वो ये नहीं जानते होंगे कि उन्‍हें ये धर्म कब दिया गया। क्‍यों‍कि हमारा धर्म तो हमारे जन्‍म से ही तय हो जाता है। इसमें हमारा कोई योगदान नहीं होता है। धर्म हमारा इस बात‍ से तय होता है कि हमारे माता पिता का कौन सा धर्म और जाति थी। इसलिए जब आगे उनकी कोई भी संतान होगी तो वह स्‍वत: ही उसी धर्म और जाति में मान्‍य होगी। साथ ही उसके दस्‍तावेजों में यही धर्म दिखाई देगा।

लेकिन यदि उसकी संतान चाहे तो वो धर्म परिवर्तन कर सकती है। इसके बाद जब आगे उसकी संतान होगी तो एक अलग धर्म में स्‍वत: ही मानी जाएगी। जो कि उसके माता पिता ने अपनाया था। लेकिन वर्तमान में देखा ये भी गया है कि बहुत से लोग ये मांग कर रहे हैं कि उन्हें किसी धर्म में नहीं रहना है। यानि वो चाहते हैं कि उनके जीवन से धर्म का नाता तोड़ दिया जाए।

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हमारे देश में किस धर्म की कितनी आबादी रहती है?

यदि हम भारत यानि अपने देश की जनसंख्‍या की बात करें। तो इसकी जानकारी हमें जनगणना 2011 से मिलती है। जिसमें बताया गया था कि भारत में सभी महिला और पुरूष को मिलाकर कुल आबादी 121 करेाड़ है। जबकि यदि इसे धर्म के आधार पर देखें तो इसमें 79.8 प्रतिशत लोग हिन्‍दू धर्म को मानते हैं। जबकि 15.23 प्रतिशत लोग इस्‍लाम धर्म को मानते हैं।

ये दो धर्म की जनसंख्‍या भारत में फिलहाल सबसे ज्‍यादा है। जबकि 0.70 प्रतिशत लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। 2.3 प्रतिशत लोग ईसाई पंथ को मानते हैं। इसके अलावा 1.72 प्रतिशत लोग सिख धर्म को मानते हैं।

जबकि भारत की जनगणना के हिसाब से इस समय लगभग 42 लाख लोग जैन धर्म को मानते हैं। हमारे देश की खास बात ये है यहां भले ही किसी धर्म के लोग कम या ज्‍यादा रहते हों। परन्‍तु सभी लोग एक दूसरे के साथ प्‍यार और प्रेम के साथ रहते हैं। सभी लोग एक दूसरे का सम्मान तो करते ही हैं। साथ ही बहुत से लोग तो एक दूसरे के धार्मिक आयोजनों में शामिल होकर भी उन्‍हें बधाई देते हैं। इसके अलावा कानून में भी किसी धर्म विशेष के साथ किसी तरह का भेदभाव नहीं किया गया है।

Sacha dharm kon sa hai, सच्चा धर्म कौन सा है?

यदि आप ये जानना चाहते है कि सच्चा धर्म कौन सा है, तो आपको बता दें सच्‍चे धर्म का कोई नाम नहीं होता है। इसलिए हम उसकी कुछ पहचान मात्र बता रहें हैं। आइए आपको हम उन पहचान के बारे में बताते हैं। जिनके जरिए आप तय कर सकते हैं कि तमाम धर्मो में से सच्चा धर्म कौन सा है। साथ ही आपको किसके साथ जाना चाहिए।

  • सच्‍चा धर्म हमेशा लोगों के हित की बात करता है। वह कभी नहीं कहता है कि आप कोई ऐसा काम करो जिससे किसी इंसान का नुकसान हो। किसी को परेशनी उठानी पड़े।
  • सच्‍चा धर्म हमेशा लोगों की मदद करना पुण्‍य का काम बताता है। वो हमेशा यही कहता है कि आप जितना भी संभव हो गरीब और असहाय लोगों की मदद करो। ताकि सब का भला हो सके। सभी लोग खुश रह सकें।
  • सच्‍चा धर्म कभी भी चोरी, अपराध, हत्‍या जैसी चीजों को बढ़ावा नहीं देता है। बाल्कि सच्‍चा धर्म तो ये कहता है कि जो भी इंसान इस तरह के काम करता है वो अपने धर्म का अपमान करता है। उसे उससे बाहर कर देना चाहिए।
  • सच्‍चा धर्म यही कहता है कि कोई भी आपके दरवाजे कोई भूखा इंसान आकर रोटी पानी मांगे तो उसे कभी मना ना करें। भले ही आप उसे जानते ना हों। परन्‍तु कभी भी उसे अपने दरवाजे से भूखा ना जाने दें। ये एक बेहद महान काम होता है किसी भी सच्‍चे धर्म के अंदर।

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  • सच्‍चा धर्म हमेशा सभी लोगों में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है। वो कभी नहीं कहता है कि आप किसी दूसरे धर्म या लोगों का अपमान करो। सच्‍चा धर्म यही कहता है कि सभी धर्म के लोग हमेशा मिलजुल कर रहें। साथ ही एक दूसरे की मदद करें।
  • सच्‍चा धर्म हमेशा सत्‍य की राह पर चलने की पैरवी करता है। वो कभी नहीं कहता है कि आप झूठ बोलो या किसी इंसान से छल करो। साथ ही ऐसा करना पाप भी बताया गया है।
  • सच्‍चा धर्म सिर्फ इंसान ही नहीं बाल्कि जानवर और प्रकृति का भी सम्मान करने की बात कहता है। वो कहता है कि हर इंसान को इनका दर्द समझना चाहिए। साथ ही अपना पूरा योगदान देना चाहिए। इसीलिए बहुत से लोग अपनी छतों पर पक्षिओं के लिए दाना और पानी रखते हैं।
  • सच्‍चा धर्म हमेशा यही कहता है कि हमें हमेशा अच्‍छे कर्म और सत्‍कर्म करने चाहिए। भले ही हमें उसका श्रेय दिया जा रहा हो या नहीं। साथ ही ये काम बिना किसी मोह माया के करना चाहिए।
  • सच्‍चा धर्म हमें कर्म करने को कहता है, ना कि फल की चिंता करने को। उसका मानना होता है कि हमें केवल अपना कर्म करते चलना चाहिए। फल की अपेक्षा कभी नहीं करनी चाहिए। साथ ही जो फल हमें मिल जाए उसे कम भी नहीं कहना चाहिए।
  • सच्‍चा धर्म हमें सत्‍य की राह पर चलने के साथ ये भी कहता है हमें जब भी कहीं गलत या अधर्म होता दिखाई दे। तो उसके खिलाफ हमें आवाज जरूर उठानी चाहिए। भले ही हमारी आवाज कमजोर क्‍यों ना हो। पर हमें चुप नहीं रहना चाहिए।
  • सच्‍चा धर्म कभी भी महिला या पुरुष को लेकर किसी तरह का भेदभाव या अपमान नहीं करने की सलाह देता है। सच्‍चे धर्म की यही पहचान होती है कि वो कहता है जितने हक पुरूषों के हैं उतने की हक महिलाओं के भी हैं। इसलिए ये सभी को मिलने ही चाहिए।
  • सच्‍चा धर्म कभी भी हिंसा को बढ़ावा नहीं देता है। सच्‍चा धर्म हमेशा कहता है कि हर बात का समाधान बातचीत के जरिए होना चाहिए। हिंसा किसी भी तरह से किसी भी बात का समाधान नहीं हो सकता है। इसलिए हिंसा का रास्‍ता पकड़ना धर्म का अपमान होता है।

‘मानवता का धर्म’ सबसे बेहतर होता है?

आपने ऊपर जाना कि सच्चा धर्म कौन सा है यानि सच्‍चे धर्म की क्‍या पहचान होती है। इन सब बातों को जानने के बाद आप के जहन में भी ये सवाल आया होगा कि अखिर ऐसा कौन सा धर्म है जिनमें ये सभी बातें शामिल होती हों। इसका जवाब एक ही धर्म है ‘मानवता का धर्म’ मानवता एक ऐसा धर्म है जिससे बेहतर इस दुनिया का कोई भी धर्म या संप्रदाय नहीं हो सकता है।

ये एक ऐसा धर्म होता है जिसे कोई भी महिला या पुरुष धारण कर सकता है। साथ ही मानवता के लिए जिस दिन से वो काम करना प्रारंभ कर देगा उसी दिन से उसे इस धर्म का सच्‍चा पुजारी मान लिया जाएगा। इसे अपनाने के लिए हमें कहीं  जाने की भी जरूरत नहीं होती है।

धर्म परिवर्तन कैसे होता है?

कई लोग हमारे बीच किन्‍हीं कारणों से अपना धर्म परिवर्तन कर लेते हैं। लेकिन बहुत से लोग ये नहीं जानते हैं कि आखिर धर्म परिवर्तन होता कैसे है। दरअसल, धर्म परिवर्तन के लिए आपको सबसे पहले जिस धर्म में जाना है उस धर्म के किसी बड़े धर्म गुरू से संपर्क करना होगा।

इसके बाद वो आपको जानकारी देंगे कि धर्म परिवर्तन करने की क्‍या विधि है। क्‍योंकि हर धर्म में जाने के लिए एक अलग तरीका अपनाया जाता है। इसलिए हम आपको यहां कोई एक तरीका नहीं बता सकते हैं। इसके बाद किसी विशेष दिन आपको उस पूरी विधि के साथ धर्म परिवर्तन करवा दिया जाता है। यह किसी एक इंसान का भी हो सकता है। परिवार का भी और सामूहिक भी। लेकिन ज्‍यातर इसे सामूहिक तौर पर ही किया जाता है।

Disclaimer

अपनी इस पोस्‍ट के जरिए हम किसी विशेष धर्म को बढ़ावा नहीं देना चाहते हैं, ना ही किसी धर्म का अपमान करना चाहते हैं। हमारा मकसद सिर्फ लोगों को सच्‍चे धर्म का पालन और उसकी पहचान से अवगत करवाना हैं।

आपने जाना

हमने किसी धर्म का नाम लेने के बजाय आपको यह बताया कि सच्‍चे धर्म की क्‍या पहचान होती है, ताकि आप यह समझ पायें कि Sacha dharm kon sa hai. आशा है इस लेख को पढ़ने के बाद अब आप यह समझ चुकें होंगे कि सच्चा धर्म कौन सा है।

यदि इस लेख से सम्बंधित कोई सुझाव या सवाल है तो हमें कमेंट में जरूर बताये, और यदि यह लेख आपको पसंद आया तो अपने उन दोस्तों तक जरूर शेयर करें जो धर्म को लेकर घंटों तक बहस करते है।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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