हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई?

Hanuman ji ki mrityu kaise hui: रामायण में हनुमान जी को हम सभी ने देखा है। साथ ही देखा है कि कैसे हनुमान जी ने पूरी रामायण में अपने साहस से सीता माता को खोजने में राम की मदद की थी। जिससे हमें लगता है कि हनुमान जी को इस दुनिया में मारने वाला कोई भी देवता नहीं बना है।

लेकिन काफी सारे लोग नहीं जानते हैं कि हनुमान जी एक बार 6 महीने के लिए मौत की नींद में चले गए थे। लेकिन उसके बाद वो दोबारा से जीवित हो गए थे। जिसके बाद आजतक वो जीवित ही हैं। इसलिए आइए आज आपको बताते हैं कि हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई थी।

हनुमान जी कौन थे?

हनुमान जी रामायण में प्रभु श्रीराम के मित्र के रूप में जाने जाते हैं। माना जाता है कि उनकी प्रभु श्री राम से उनकी मुलाकात तब हुई थी जब वो जंगलों में माता सीता की खोज करने निकले हुए थे। तभी बीच में एक संकरी गुफा में ‘बाली’ के डर से हनुमान बैठे थे।

इसके बाद जब हनुमान जी ने प्रभु श्री राम को देखा तो माना कि आज उनका जीवन धन्‍य हो गया। इसके बाद दोनों ने एक दूसरे की कहानी सुनीं और हनुमान जी ने श्री राम को हर मदद करने का भरोसा दिया। जिसके बाद माता सीता की जाकर श्री लंका में खोज की।

हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई?

आइए अब हम आपको जानकारी देते हैं कि हनुमान जी की मृत्‍यु कैसे हुई। इस कथा का जिक्र ओडि़या भाषा की विलंका रामायण में जिक्र किया गया है। जिसमें बताया गया है कि एक बार भगवान श्री राम राक्षसराज सहस्शिरा का वध करने के लिए गए थे। मगर कई दिनों तक जब वो वापिस नहीं आए तो माता सीता को उनकी चिंता सताने लगी।

लिहाजा माता सीता ने हनुमान जी को कहा कि वो श्री राम की खोज करने जाएं। जिससे पता चल सके कि प्रभु श्री राम कहां पर हैं। हनुमान जी माता सीता के इस आदेश को टाल नहीं सकते थे। इसके बाद हनुमान विलंका पहुंच गए। लेकिन वहां राजभवन और नगर में देखने पर श्री राम का कहीं कुछ अता पता नहीं चला।

हनुमान जी जब विलंका पहुंचे तो देखा कि वहां राक्षसराज के द्वारा मुख्‍य द्वार पर एक ग्रामदेवी को बैठाया गया था। जो कि ये देखती थी कि नगर में आने वाला आदमी नगर के लिए शत्रु है या दोस्‍त? यदि कोई शत्रु नगर में प्रवेश करने की सोचता था। तो ग्रामदेवी सीधा उसका वध कर देती थी। ताकि वो नगर में प्रवेश ना कर सके।

वहीं नगर के उत्‍तरी द्वार पर एक विष सरोवर था। जबकि दक्षिण द्वार पर एक तलाब था। वो ये काम करता था कि यदि नगर में प्रवेश करने वाला आदमी शत्रु होता था और इस तलाब या सरोवर का पानी पी लेता था तो उसकी मृत्‍यु हो जाती थी। लेकिन यदि वह मित्र होता था। तो उसे कुछ नहीं होता था।

इस तरह से जब हनुमान जी विलंका के उत्‍तरी द्वार पर पहुंचे तो प्रभु श्री राम के बारे में सोचने विचारने लगे। जिससे ग्रामदेवी को ज्ञान हो गया कि यह श्री राम का मित्र है जो कि राम की तलाश में यहां आया हुआ है। जिससे उसे पता चल गया कि वह नगर का शत्रु है। इसके बाद ग्रामदेवी सीधा हनुमान जी के गले में बैठ गई। जिससे हनुमान जी का गला सूखने लगा। लिहाजा सामने सरोवर देखकर हनुमान जी ने उसका पानी पी लिया। इसके बाद तो विष उनके पूरे शरीर में फैलने लगा। जिससे उनकी कुछ ही समय बाद मृत्‍यु हो गई।

इसके बाद जब हनुमानजी कई दिनों तक दिखाई नहीं दिए तो सभी देवता चितिंत होने लगे। चिंता में वो सभी पवनदेव के जाकर कहने लगे कि हनुमान जी कई दिनों से दिखाई नहीं दिए, वो पता नहीं कहां चले गए हैं। इसके बाद पवनदेव सहित सभी देवता उन्‍हें तलाशने लगे। ताकि उनकी कुछ खोज खबर लगाई जा सके।

इसके बाद बृहस्‍पतिदेव ने जानकारी दी कि उनकी मृत्‍यु हो चुकी है और उनका शरीर विलंका में पड़ा हुआ है। इसके बाद सभी देवगण विलंका पहुंचे और संजीवनी और अमृत देकर हनुमान जी को जीवित किया। इस तरह से इस दौरान कुल 6 माह का ऐसा समय रहा जिस दौरान हनुमान जी मृत रहे। हालांकि, इस कथा का जिक्र केवल एक ही रामायण में सुनने को मिलता है। दूसरी किसी रामायण में हनुमान जी को हमेशा अमर बताया गया है।

FAQ

हनुमान जी की मृत्यु कब हुई थी?

हनुमान जी की मृत्‍यु एक बार जब वो विलंका में श्री राम को तलाशने गए थे तब हुई थी।

हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई?

हनुमान जी की मृत्यु विलंका में प्रवेश द्वार पर बने सरोवर का जल पीने से हुई थी। जो शत्रुओं के लिए एक तरह से विष का काम करता था।

हनुमान जी कितने समय तक मृत रहे थे?

इस तरह से विष पीने के बाद हनुमान जी कुल 6 महीने तक मृत रहे थे। इसके बाद वो दोबारा से जीवित हुए थे।

हनुमान जी दोबारा कैसे जीवित हुए थे?

हनुमान का पता लगने पर सभी देवगण संजीवनी और अमृत लेकर विलंका पहुंचे और उन्‍हें दोबारा से जीवित किया था।

क्‍या आज हनुमान जी जीवित हैं?

हॉ, हनुमान जी आज भी जीवित हैं। साथ ही कहा जाता है कि सृष्टि के अंत तक वो जीवित ही रहेंगे। क्‍योंकि वो इस सृष्टि के रक्षक के रूम में हैं।

इसे भी पढ़ें:

Conclusion

आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई। इससे जानने के बाद आप समझ गए होंगे कि भले ही कहा जाता है कि हनुमान जी इस सृष्टि के अंत तक जीवित रहेंगे। लेकिन एक दौर ऐसा जरूर आया था। जब उन्‍हें भी पूरे 6 महीने तक मृत रहना पड़ा था। लेकिन इसके बाद वो जीवित हुए और फिर आज तक जीवित ही हैं। हनुमान जी की जय हो।

Disclaimer

हनुमान जी की मृत्‍यु से जुड़ी यह कथा ओडि़या भाषा की विलंका रामायण पर आधारित है। All In Hindi इस कथा की किसी तरह से पुष्टि नहीं करता है।

उम्र में युवा और तजुर्बे में वरिष्ठ रोहित यादव हरियाणा के रहने वाले हैं। पत्रकारिता में डिग्री रखने के साथ इन्होंने अपनी सेवाएं कई मीडिया संस्थानों को दी हैं। फिलहाल ये पिछले लंबे समय से अपनी सेवाएं 'All in Hindi' को दे रहे हैं।

Leave a Comment