ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है?

Gram sabha gram panchayat mein kya kya antar hai: यदि आप शहर से हैं तो आपने गांवों में बनने वाली ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के बारे में अवश्‍य सुना होगा। समय समय पर इनके चुनाव भी होते रहते हैं। इनके अलावा ग्राम प्रधान, सरंपच और मुखिया के चुनावों की चर्चा भी आपने अवश्‍य सुनी होगी। लेकिन हो सकता है कि आपके कभी समझ में ना आया हो कि सही मायने में ये क्‍या होते हैं। इनका क्‍या काम होता है।

तो आज हम अपने इस लेख में हम आपको जानकारी देंगे कि ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है। साथ ही सरपंच, प्रधान और मुखिया में क्‍या अंतर होता है। इनके क्‍या काम होते हैं और इनकी गांव में क्‍यों जरूरत होती है।

गांव की इन चीजों जानना क्‍यों जरूरी है?

  • क्‍योंकि भारत की 70 प्रतिशत आबादी अब भी गांव में बसती है। इसलिए देश के शहरी नागरिकों को भी गांव की इस व्‍यवस्था को समझना बेहद जरूरी है।
  • आज के समय में कई प्रतियोगी परीक्षाओं में गांव की सरकार और उनके चुनावों से जुड़े प्रश्‍न पूछे जाते हैं। इसलिए इनको समझकर ही आप उन प्रश्‍नों का सही जवाब दे सकते हैं।
  • आगे चलकर यदि आप कोई अधिकारी बनते हैं तो गांव की सरकार को बिना जाने समझे कभी देश को विकास के सही रास्‍ते पर नहीं ले जा सकते हैं।
  • अगर आप देश के विकास और राष्‍ट्रीय राजनीति को समझना चाहते हैं तो आपके लिए जरूरी है कि इसको समझने के लिए सबसे पहले गांव की राजनीति को ही समझने से शुरूआत करें। तभी आप भारत जैसे विशाल देश को समझ सकते हैं।

ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में अंतर

ग्राम सभा क्‍या होती है?

यदि हम ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है की बात करें तो सबसे पहले आइए आपको ग्राम सभा की जानकारी देते हैं। इसमें हम आपको बता दें कि ग्राम सभा पंचायती राज की सबसे निचली ईकाई को कहा जाता है। इसके अंदर गांव का हर वो नागरिक सदस्‍य होता है जो कि 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका है। जिसका नाम मतदाता सूची में जुड़ चुका है।

आम भाषा में जो भी गांव के मतदाता हैं वो स्‍वत: ही ग्राम सभा के सदस्‍य बन जाते हैं। उनका काम अपने गांव में जब भी मतदान हो तो मतदान करके अपने गांव के लिए एक अच्‍छी और कुशल पंचायत का चुनाव करना होता है।

ग्राम सभा की विशेषताएं

  • ग्राम सभा एक तरह से हर समय ग्राम पंचायत के कामों पर निगरानी रखने का काम करती है। ताकि गांव में किसी तरह से गलत काम ना हो सके।
  • ग्राम सभा पूरी तरह से स्‍थाई निकाय है। जो कि कभी भी किसी के द्वारा भी भंग नहीं की जा सकती है।
  • इसका सदस्‍य बनने के लिए केवल 18 साल की आयु और मतदाता सूची में नाम होना ही अनिवार्यता होती है।
  • ग्राम सभा के सदस्‍यों की मदद करने के लिए सरकार की तरफ से ग्रामीण विकास अधिकारी नियुक्‍त होता है। जो कि ग्राम सभा के कामों में मदद करता है।

ग्राम सभा के कार्य

  • गांव में होने वाले विकास कार्य और योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करना और गलत लाभ लेने वालों की पहचान करना।
  • गांव का जो भी व्‍यक्ति किसी भी योजना का लाभ लेने की योग्यता रखता है, उसे उस सरकारी योजना का लाभ दिलाने में पूरी मदद करना।
  • ग्राम पंचायत जो भी खर्च करती है, काम करती है उसके ऊपर अपनी निगाह रखना और काम की पूरी तरह से निगरानी करना। ताकि भ्रष्‍टाचार को रोका जा सके।
  • गांव में जो भी विकास संबधी कार्य होंगे उनकी योजना बनाना और उन्‍हें पास करवाने में मदद करवाना।
  • ग्राम सभा के सदस्‍य ग्राम पंचायत के किसी काम में अपना श्रमदान देकर उस काम को गति देने का काम कर सकते हैं।
  • शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और स्‍वच्‍छता जैसे सार्वजनिक कार्यक्रमों में ग्राम सभा का बढ़ चढ़कर आगे आना। ताकि उन्‍हें गति दी जा सके।

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ग्राम पंचायत क्‍या होती है?

आइए अब हम आपको ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है में ग्राम पंचायत से जुड़ी जानकारी देते हैं। ग्राम पंचायत एक तरह से निर्वाचित की जाती है। हर पांच साल में ग्राम पंचायत का चुनाव होता है। जो कि राज्‍य चुनाव आयोग करवाने का काम करता है। इसके अंदर ग्राम सभा यानि गांव का 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुका नागरिक अपना वोट देता है।

इसके अंदर प्रमुख रूप से सरपंच होता है। इसके अलावा हर वार्ड से पंच होता है। इनमें गांव के लोग यानि ग्राम सभा के सदस्‍य जिसे भी अपना मत देकर विजयी बनाते हैं। उसे ही अगले पांच साल तक ग्राम पंचायत के प्रमुख के तौर पर रहना होता है। एक तरह के अपने गांव की सरकार की भूमिका में उनका ही योगदान होता है।

ग्राम पंचायत की विशेषताएं

  • ग्राम पंचायत पंचायती राज का सबसे अहम अंग होने के साथ एक निर्वाचित संस्‍था होती है। जो कि गांव के लोगों द्वारा ही चुनी जाती है।
  • ग्राम पंचायत में जो भी सदस्‍य होते हैं उनकी जवाबदेही सीधे ग्राम सभा के सदस्‍य के प्रति होती है।
  • इसका कार्यकाल पांच साल का होता है। साथ ही इसके अंदर केवल वही सदस्‍य शामिल होता है। जिसे गांव के लोग वोट देकर चुनते हैं।
  • ग्राम पंचायत के काम काम में मदद क लिए और उसे अधिक जवाबदेह बनाने के लिए सरकार की तरफ से ग्राम पंचायत अधिकारी/ पंचायत सचिव जैसे लोग नियुक्‍त किए जाते हैं।
  • ग्राम पंचायत के पास पंचायती राज अधिनियम 1992 के तहत कुल 29 कार्य सौपे गए हैं। जो कि ग्राम पंचायत अपने गांव में आसानी से करवा सकती है।
  • अगर गांव में कोई ऐसा इंसान है जो कि सरकार से किसी तरह की मदद चाहत है, तो ग्राम पंचायत उसे हर तरह से मदद के लिए सरकार से मांग कर सकती है।

ग्राम पंचायत के कार्य

  • गांव की गलियों और सड़कों को पक्‍का करवाना और उनका रख रखाव करवाना।
  • गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों की व्‍यवस्‍था करवाना और उनकी समय समय पर मरम्‍मत करवाना।
  • गांव में घरेलू प्रयोग के लिए पानी और जानवरों को नहलाने आदि के लिए तालाब की व्‍यवस्‍था करवाना।
  • गांव में खेल, मेले और अन्‍य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाने के लिए जगह की समुचित व्‍यवस्‍था करवाना और आयोजन कर्ताओं का सहयोग करना।
  • गांव में पशु पालन से जुड़े व्‍यवसाय के लोगों की संख्‍या को बढ़ाना। साथ ही संभव होने पर दूध बिक्री केन्‍द्र को खुलवाना।
  • रात के समय गांव की गलियों और चौपालों में लाइटों की व्‍यवस्‍था करवाना ताकि गांव में आने जाने वाले राहगीरों को परेशानी ना हो।
  • गांव को शौच मुक्‍त बनाने के लिए गांव में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करवाना। साथ ही ग्रामीणों को खुले में शौच मुक्‍त गांव बनाने के जागरूक करना।
  • गांव में होने वाली शदियों और जन्‍म मृत्‍यु का रिकार्ड रखना। साथ ही यदि किसी को सरकार से मदद से संभव होती है, तो उसके लिए भी प्रयास करना।
  • सरकार की तरफ से प्राप्‍त हुए पैसों को गांव में सही जगह प्रयोग करना। ताकि उनका ज्‍यादा से ज्‍यादा सदुपयोग हो सके।
  • अगर गांव में किसी तरह की अनैतिक गतिविधि दिखाई देती है, तो सबसे पहले अपने स्‍तर पर समाधान करने की कोशिश करना। वरना उसकी सूचना पुलिस को देना।
  • इसके अलावा गांव में विकास करने के लिए अन्‍य तमाम तरह की चीजों को समय समय पर करवाना। ताकि गांव के लोग पीछे ना रह सकें।

ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में प्रमुख अंतर

क्रम

ग्राम सभा ग्राम पंचायत

1.

यह एक स्‍थाई निकाय होता है।

इसका चुनाव जनता मत देकर हर पांच साल के लिए करती है।

2.

इसमें सदस्‍य के रूप में गांव का हर मतदाता होता है।

पंचायत में आने के लिए गांव की जनता के बीच जाना होता है। उन्‍हें अपनी नीतियों से अवगत करवाना होता है।

3.

इसका कोई म‍ुखिया नहीं होता है। इसका मुखिया गांव का प्रधान/ सरपंच होता है।

4.

इसकी एक वर्ष में दो बैठकर अनिवार्य होती हैं।

इसकी बैठक एक महीने में एक बार आयोजित की जानी अनिवार्य होती है।

5. इसका काम ग्राम पंचायत के कामों की निगरानी और उनको सुझाव देना होता है।

इसका काम गांव के सभी विकास काम करवाना और जरूरत पड़ने पर सरकार के साथ बातचीत करना।

6.

इसके हाथ सुझाव देने के अलावा कोई खास ताकत नहीं होती है।

यह एक तरह से ‘गांव की सरकार’ कहलाती है। इसके पास गांव में काम करवाने की पूरी ताकत होती है।

सरपंच और प्रधान में अंतर?

यदि हम सरपंच और प्रधान में अंतर की बात करें तो आपको जानकर हैरानी होगी कि इनके अंदर किसी भी तरह का कोई अंतर नहीं होता है। एक तरह से ये तीनों नाम ही पंचायत के मुखिया की तरह होते हैं। फिर आपका सवाल होगा कि यदि इनके अंदर किसी तरह का अंतर ही नहीं होता है तो इनके नाम में क्‍यों अंतर है।

तो इसका जवाब है कि कुछ राज्‍यों में इनको बुलाने के नाम का अलग अलग चलन है। जैसे कि बिहार में यदि आप जाएंगे तो वहां मुखिया कहा जाएगा। जबकि यदि आप यूपी की तरफ जाएंगे तो आपको गांव में प्रधान कहा जाएगा।

लेकिन यदि आप हरियाणा, राजस्‍‍थान या पश्चिमी भारत के अन्‍य राज्‍यों में आएंगे तो आपको सरपंच का नाम सुनने को मिलेगा। लेकिन यदि हम इनके काम और चुनाव की बात करें तो ये लगभग एक जैसा ही होता है। बस कुछ राज्‍यों में इनकी ताकत में थोड़ा सा फर्क होता है। हर जगह इन्‍हें गांव की जनता वोट के माध्‍यम से 5 साल के लिए चुनती है।

सरपंच को कितनी सैलरी मिलती है?

अब आप समझ गए होंगे कि ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है। इसके बाद यदि हम सरपंच की सैलरी की बात करें तो यह हर राज्‍य में अलग अलग होती है। क्‍योंकि पंचायती राज व्‍यवस्‍था पूरी तरह से राज्‍य के अंदर आती है।

लेकिन यदि हम सैलरी की बात करें तो कुछ साल पहले तक केवल सरपंच को मानदेय ही दिया जाता था। लेकिन फिलहाल ज्‍यादातर राज्‍यों में सरपंच को हर महीने 5 से 8 हजार रूपए सैलरी दी जाने लगी है। सैलरी के अलावा सरपंच को कई तरह के मानेदय भी दिए जाते हैं। इन सबको मिलाकर हर महीने उसे कुल 15 हजार रूपए तक की राशि दी जाती है। जो कि एक तरह से उसका मेहनताना होता है।

सरपंच का चुनाव कब होता है?

अब आपके जहन में ये सवाल आ रहा होगा कि सरपंच का चुनाव कब होता है। तो हम आपको बता दें कि सरपंच का चुनाव हर पांच साल में होता है। जो कि राज्य चुनाव आयोग की देख रेख में होता है। इस चुनाव में गांव के सभी 18 वर्ष से आधिक आयु के मतदाता मिलकर वोट देते हैं। जिसके बाद जिसे भी सबसे ज्‍यादा वोट मिलती है। उसे ही गांव का सरपंच बना दिया जाता है।

जो कि अगले पांच साल तक के लिए होता है। खास बात ये है कि गांव में सरपंच अपने स्‍तर पर खड़े होते हैं। उनके पीछे किसी पार्टी का हाथ नहीं होता है। अगर वो जीतते हैं तो अपने काम वो अपनी इच्‍छा से करवा सकते हैं। बीजेपी या कांग्रेस कभी गांव में सरपंच पद के लिए अपने उम्‍मीदवार नहीं देती हैं। ना ही इनके निशान का प्रयोग होता है।

सरपंच को अपने पद से कैसे हटाएं?

यदि आपके गांव में सरपंच बन चुका है और काम नहीं कर रहा है या सरकारी पैसे का दुरूपयोग कर रहा है। तो आज के समय जनता सरपंच को हटा भी सकती है। इसके लिए कई राज्‍यों में ‘राइट टू रीकॉल’ (Right to Recall) की सुविधा है। जिसके अंदर यदि सरपंच काम नहीं करता है तो एक तरह से गांव की जनता ही उसके खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव ला सकती है। इसके बाद यदि यह पास हो जाता है, तो सरपंच को अपने पद से हाथ धोना पड़ेगा।

सरपंच बनने की योग्यता

  • सरपंच पद के उम्‍मीदवार को उसी गांव का स्‍थाई निवासी होना चाहिए।
  • फिलहाल कई राज्‍यों में शैक्षणिक योग्यता दसवीं मांगी जाने लगी है। अन्‍यथा अनपढ़ आदमी भी सरपंच पद का उम्‍मीदवार बन सकता है।
  • उम्‍मीदवार की आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए। अधिकतम आयु की कोई भी सीमा निर्धारित नहीं है।
  • यदि उम्‍मीदवार शादीशुदा है तो उसके कुल 2 बच्‍चों से ज्‍यादा नहीं होने चाहिए।
  • किसी भी राज्‍य या केंद्र सरकार में सरकारी पद पर काम करने वाला आदमी सरपंच पद का चुनाव नहीं लड़ सकता है।
  • उम्‍मीदवार का नाम उस गांव की मतदाता सूची में अवश्‍य होना चाहिए। जिसमें वो सरपंच पद के लिए खड़ा होना चाहता है।
  • उम्‍मीदवार के ऊपर किसी भी अदालत में किसी अपराध के लिए दोष सिद्ध ना हुआ हो। अगर केवल आरोप हों तो वो चुनाव लड़ सकता है।

https://youtu.be/3HJMyMUfKX4

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ग्राम सभा क्‍या होती है?

ग्राम सभा गांव के ही सभी मतदाताओं से ही मिलकर बनी एक सभा होती है।

ग्राम पंचायत क्‍या होती है?

ग्राम पंचायत के अंदर वार्ड सदस्‍य और पंच के साथ सरपंच होते हैं। इन सभी का चुनाव गांव के मतदाता सीधे अपना मत देकर करते हैं।

ग्राम सभा का कार्यकाल कितना होता है?

ग्राम सभा एक स्‍थाई निकाय होती है। इसका ना तो कभी चुनाव होता है, ना ही इसे भंग किया जा सकता है।

ग्राम पंचायत का कार्यकाल कितना होता है?

ग्राम पंचायत का कार्यकाल कुल 5 साल का होता है। इसके बाद दोबारा से चुनाव में जाना होता है। लेकिन ‘राइट टू रिकॉल’ के जरिए इसे पांच साल से पहले भी हटाया जा सकता है।

सरपंच और प्रधान में क्‍या अंतर होता है?

सरपंच, प्रधान और मुखिया अपने गांव की पंचायत के प्रमुख होते हैं। राज्‍यों के हिसाब से इन्‍हें बुलाने के लिए अलग अलग नाम दे दिया गया है।

सरपंच चुनाव में खड़े होने के लिए न्‍यूतनत आयु कितनी होनी चाहिए?

सरपंच बनने के लिए न्‍यूनतम आयु कम से कम 21 वर्ष होनी चाहिए। जबकि अधिकतम आयु की कोई सीमा तय नहीं है।

Conclusion

आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है। साथ ही सरपंच, प्रधान और मुखिया में क्‍या अंतर होता है। इसे जानने के बाद हम आशा करते हैं कि आप चाहे किसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हों या अपनी जानकारी के स्‍तर पर इसे जानना चाहते हों। तो पूरी तरह से आपके मन में इन सभी का अंतर समझ आ गया होगा। इसके बाद भी यदि आपका ग्राम सभा और ग्राम पंचायत में क्या अंतर है से जुड़ा कोई सवाल है तो हमें नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम आपके सवाल का जवाब अवश्‍य देंगे।

नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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