Film director kaise ban sakte hain | फिल्म डायरेक्टर कैसे बने?

फिल्‍म डायरेक्‍टर का क्‍या काम होता है?

Film director kaise ban sakte hain; फिल्‍मों का शौकीन तो हर कोई होता है। किसी को पुरानी फिल्‍में पसंद होती हैं। तो किसी को नई फिल्‍में पसंद होती हैं। इन फिल्‍मों को बनाने में कई सौ लोगों की मेहनत होती है। उसमें भी यदि हम सबसे बड़े हाथ ही बात करें तो वो होता है ‘फिल्‍म डायरेक्‍टर’। जो कि Captaion Of ship कहलाता है।

फिल्‍म का डायरेक्‍टर वो इंसान होता है। जो कि पर्दे के पीछे रहकर पूरी फिल्‍म को बनाने का काम करता है। यदि आप भी आगे चलकर एक फिल्‍म डायरेक्‍टर बनना चाहते हैं तो हमारी इस पोस्‍ट को अंत तक पढि़ए। अपनी इस पोस्‍ट में हम आपको बताएंगे कि Film director kaise ban sakte hain, फिल्म डायरेक्ट कैसे बनें।

फिल्‍म डायरेक्‍टर क्‍या होता है?

फिल्म डायरेक्‍टर कैसे बनें इसके बारे में हम आपको जानकारी दें इससे पहले आइए एक बार हम आपको बताते हैं कि फिल्‍म डायरेक्‍टर क्‍या होता है। साथ ही फिल्‍म के अंदर उसकी क्‍या भूमिका होती है।

फिल्‍म डायरेक्‍टर वो आदमी होता है जिसके ऊपर किसी भी फिल्‍म की पूरी जिम्‍मेदारी होती है। यानि कि फिल्‍म के अंदर किन लोगों को लेना है। उन्‍हें किस भूमिका में दिखाना है। फिल्‍म की शूटिंग कहां कहां की जाएगी। फिल्‍म की कहानी क्‍या होगी। फिल्‍म को पर्दे पर लाने का सही समय कौन सा रहेगा। इसीलिए हर कोई फिल्‍म डायरेक्‍टर को बड़े ही सम्‍मान की नजर से देखता है।

कुछ मशहूर फिल्‍म डायरेक्‍टर

आइए आगे हम आपको आगे देश के कुछ मशहूर फिल्‍म डायरेक्‍टर के नाम बताते हैं। जिनके निर्देशन में बनी फिल्‍म देश में काफी सराही गई। दर्शकों ने उन्‍हें खूब प्‍यार दिया।

क्रम

डायरेक्‍टर का नाम बनाई गई फिल्‍में

1.

सत्यजीत रे पाथेर पांचाली, शतरंज के खिलाड़ी

2.

गुरु दत्त प्यासा, कागज के फूल, चौदहवी का चांद, साहिब बीवी और गुलाम

3.

बिमल रॉय दो बीघा जमीन, मधुमति, सुजाता, बंदिनी

4.

महबूब खान मदर इंडिया,

5.

ऋषिकेष मुखर्जी सत्यकाम, आनंद, गुड्डी, गोलमाल, अभिमान, नमक हराम, बा

वर्ची

6.

राजकपूर आग, राम तेरी गंगा मैली

7.

शक्ति सामंत अराधना, कश्मीर की कली, कटी पतंग, अमर प्रेम, एन इवनिंग इन पेरिस

8.

बासु चटर्जी कमला की मौत, चितचोर, रजनीगंधा, छोटी सी बात, बातों बातों में, पिया का घर

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फिल्‍म डायरेक्‍टर के कार्य

आगे हम आपको बताने जा रहे हैं कि एक फिल्‍म डायरेक्‍टर का क्या काम होता है। किसी भी फिल्‍म के अंदर उसकी क्‍या भूमिका होती है। Film director kaise ban sakte hain इस‍के लिए आपको फिल्‍म डायरेक्‍टर के काम को समझना बेहद जरूरी है।

स्‍क्रिप्‍ट को समझना

किसी भी फिल्‍म डायरेक्‍टर का पहला काम होता है कि वो जब फिल्‍म की स्‍क्रिप्‍ट तैयार ही जा चुकी हो तो उसे पूरी तरह से पढ़कर समझने की कोशिश करें। लेखक की भावनाओं को समझ कर अपने मन में एक विचार तैयार करे कि पूरी फिल्‍म किस तरह की हो सकती है। यहां ये बात जरूरी हो जती है कि लेखक और डायरेक्‍टर एक दूसरे की भावनाओं को बेहतर तरीके से समझ पा रहे हों। ताकि जो फिल्‍म बनें वो दर्शकों को एक सूत्र में बांधने का काम करती रहे।

कलाकारों की नियुक्‍ति करना

स्‍क्रिप्‍ट को जानने और समझने के बाद डायरेक्‍टर के लिए जरूरी होता है कि वो अपनी टीम का चुनाव करे। इसके अंदर वो तय करे कि कौन फिल्म में हीरो की भ‍ूमिका में दिखाई देगा। जबकि कौन हिरोइन की भूमिका में दिखई देगी। साथ ही फिल्‍म में कई अन्‍य लोग भी होते हैं। जैसे कि कैमरा, साउंड, लाइटिंग आदि से जुड़े लोगों का भी चयन करना। यहां उसे यह भी तय करना होता है कि उसे अपनी टीम कितनी बड़ी रखनी है।

फिल्‍म का बजट तैयार करना

अंत में जब किसी डायरेक्‍टर के पास फिल्‍म की पूरी टीम बन जाती है। तो उसे फिल्‍म का बजट तैयार करना होता है। बजट से पहले जरूरी हो जाता है कि डायरेक्‍टर सभी लोगों को फिल्‍म की कहानी बता दे। साथ ही वो किस तरह की फिल्‍म बनाना चाहता है। इस बात से भी अवगत करवा दे।

इसके बाद फिल्‍म में हर विभाग से जुड़ा आदमी अपना खर्चा बताता है। जैसे कि लाइट का, साउंड का, मेकअप का, स्‍टेज तैयार करने का वगैरह वगैरह। यहां एक बात और ध्‍यान रखनी होती है कि यदि डायरेक्‍टर को लगता है कि कोई विभाग ज्‍यादा खर्चा बता रहा है तो वह उसकी जगह दूसरे लोग रख सकता है। जो कि उसी काम को बेहतर तरीके से कम खर्च में कर सकते हों। अंत में पूरे खर्चे को जोड़कर एक पूरा बजट तैयार कर लिया जाता है। जो कि पूरी शूटिंग के लिए होता है।

शूटिंग की जगह देखना

बजट तैयार करने के बाद डायरेक्‍टर के साथ एक बार फिर सभी लोग बैठते हैं। खास तौर पर वो लोग जो कैमरे के आगे दिखाई देंगे। उन लोगों से चर्चा की जाती है कि फिल्‍म का कौन सा सीन कहां बेहतर तरीके से शूट किया जा सकता है।

इसके बाद सभी लोग अपने अनुभव और जानकारी के आधार पर अपनी बात रखते हैं। जैसे कोई सीन वादियों के बीच का है तो कश्‍मीर चलना होगा, जबकि कोई दूसरा सीन रेगिस्‍तान का है तो राजस्‍थान जाना होगा। यहां बजट के हिसाब से भी बात की जाती है। क्‍योंकि एक ही सीन के लिए जगह तो बहुत सारी होती हैं। पर आपका बजट जहां फिट बैठता है वहीं जाया जा सकता है।

अंत में यदि जरूरत पड़ती है तो फिल्‍म के कुछ लोग उन जगहों पर जाकर देख भी सकते हैं कि क्‍या वो जगह वाकई फिल्‍म की शूटिंग के लिए ठीक रहेगी या नहीं। क्‍योंकि जब वहां सारी टीम चली जाएगी तो जगह में बदलाव करना संभव नहीं होगा।

शूटिंग के लिए निकलना

जब सबकुछ प्‍लान के मुताबिक तय हो जाता है तो जरूरी हो जाता है कि डायरेक्‍टर अब अपनी पूरी टीम को लेकर जिस जगह पर फिल्‍म की शूटिंग होनी है वहां पर चला जाए। वहां का माहौल देखकर शूटिंग के लिए समय का निर्धारण करे। इसके अंदर जरूरी नहीं है कि क्रमवार तरीके से ही शूटिंग की जाए। हो सकता है कि फिल्‍म का शुरूआती सीन सबसे अंत में शूट किया गया हो। क्‍योंकि वह उसके लिए बरसात के मौसम का इंतजार करना पड़ा हो।

इसके बाद जब शूटिंग जब शुरू होती है, तो डायरेक्‍टर इस बात का ध्‍यान रखता है कि शूटिंग में सबकुछ उसी तरह से हो जैसा फिल्‍म की स्‍क्रिप्‍ट में लिखा गया है। यही वजह है कि डायरेक्‍टर कई बार एक ही सीन को कई बार दोहराने के लिए कहता है। ताकि सीन में कोई कमी ना रह जाए।

इसके अलावा ध्‍यान ये रखना होता है कि एक सीन को फिल्‍माने के लिए जितने दिन तय हुए थे। उतने ही दिन में वो पूरा हो। साथ ही खर्चा भी उतना हो जितना पहले उस सीन के लिए निर्धारित किया गया था।

शूटिंग पूरी होने के बाद

अंत में जब फिल्‍म की शूटिंग पूरी हो जाती है। तो सभी लोग वापिस आ जाते हैं। फिर से एक बैठक होती है। वहां देखा जाता है कि क्‍या सभी सीन पूरे हो चुके हैं। जैसा सोचा था क्‍या वैसी ही शूटिंग पूरी हुई है। यदि किसी जगह कमी महसूस होती है तो उसे दोबारा से या पर्दा लगाकर भी आसानी से किया जा सकता है।

यदि सबकुछ सही से हो गया होता है। तो डायरेक्‍टर सभी का आभार प्रकट करता है और उन्‍हें एक दिन खाने पीने के लिए अच्‍छी व्यवस्‍था करता है। ताकि सभी लोग काम करके संतुष्ठ हो सकें। क्‍योंकि यदि वो लोग खुश होंगे तभी जरूरत पड़ने पर दूसरी फिल्‍म के लिए आएंगे।

फिल्‍म की एडिटिंग

सबसे अंत में फिल्‍म की एडिटिंग का काम किया जाता है। इसके अंदर डायरेक्‍टर देखता है कि फिल्‍म में किस तरह का साउंड होना चाहिए। रंग किस तरह का होना चाहिए। जिसके बाद लगातार फिल्‍माए गए सीन के मुताबिक उन सबको फिल्‍म की स्‍क्रिप्‍ट के अनुसार लगा दिया जाता है। अंत में पूरी फिल्‍म को बैठकर देखा जाता है‍ कि अब इसमें किसी तरह के बदलाव की जरूरत तो नहीं है।

यदि सबकुछ सही रहता है तो फिर सोचा जाता है कि अब फिल्‍म सिनेमा घरों में कब लाई जाए। फिल्‍म को लाने से पहले उसका प्रचार प्रसार कैसे किया जाए। ताकि लोगों की उस फिल्‍म को देखने के लिए जिज्ञासा बढ़ती जाए। कई बार इसके लिए फिल्‍म को जानबूझ कर विवादों में भी लेकर आया जाता है। जिससे फिल्‍म खूब चर्चा में आ जाए। हाल फिलहाल में इसका चलन काफी बढ़ गया है।

फिल्म डायरेक्टर कैसे बन सकते हैं

फिल्म डायरेक्‍टर बनने के लिए प्रमुख कोर्स

आइए अब हम आपको आगे फिल्‍म डायरेक्‍टर बनने से जुड़े कोर्स के बारे में बताने जा रहे हैं। ये सभी कोर्स देश के अलग अलग संस्‍थानों में करवाए जाते हैं। आप इनमें से किसी में भी अपना दाखिला लेकर फिल्‍म डायरेक्‍टर से जुड़ी पढ़ाई पूरी कर सकते हैं।

  • Post Graduate Program in Cinema
  • Post Graduate Diploma in Direction
  • Post Graduate Diploma in Cinematography
  • Post Graduate Diploma in Sound Recording and Sound Design
  • Post Graduate Diploma in Editing
  • Post Graduate Diploma in Art Direction and Production Design
  • Certificate Course in Screenplay Writing
  • Diploma in Video Production
  • Bachelor of Film Technology

प्रमुख संस्‍थान

Film director kaise ban sakte hain इसके लिए देश के कुछ जाने मानें संस्‍थान हैं। आप वहां अपना दाखिला लेकर अपनी पसंद का कोई भी कोर्स कर सकते हैं। सभी संस्‍थानों में कोर्स और उनकी फीस अलग अलग देखने को मिलेगी। इसलिए इन संस्‍थानों के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने के लिए आप इनकी वेबसाइट पर जाकर देख सकते हैं।

  • Film and Television Institute of India,  Pune
  • Satyajit Ray Film and Television Institute of India, Kolkata
  • Whistling Woods International, Mumbai
  • LV Prasad Film and Television Academy, Chennai
  • ICE Institute, Mumbai
  • Asian Academy of Film and Television, Noida
  • digital film academy, Mumbai
  • MGR Film and Television Academy, Chennai
  • AJK Mass Communication Research Centre, Delhi
  • Mumbai Film Institute, Mumbai
  • Anapurna International School of Film and Media, Hyderabad
  • Craft Film School, Delhi
  • zee institute of media arts, Mumbai
  • KR Narayan National Institute of Visual Science and Arts, Kerala
  • Biju Patnaik Film and Television Institute of Orissa
  • Government Film and Television Institute, Bangalore

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फिल्‍म डायरेक्‍टर बनने क लिए कौन सा कोर्स करें?

आपको हमने ऊपर कई कोर्स की लिस्‍ट बताई। लेकिन यदि आप सोच रहे हैं‍ कि इनके अंदर वो कौन सा कोर्स है। जिसे करने के बाद सीधा फिल्‍म डायरेक्‍टर बनने के लिए कौन सा कोर्स करना होगा। इस सवाल का कोई स्‍पष्‍ट जवाब नहीं है। क्‍योंकि आपको हमने बताया कि कैसे फिल्‍म का डायरेक्‍टर फिल्म के अंदर Captain Of ship की भूमिका में रहता है।

इस भूमिका में आने के लिए जरूरी है कि आपको फिल्म के हर विभाग और हर काम की अच्‍छी तरह से जानकारी हो। ताकि आप हर काम को अच्‍छे से पूरा कर सकें। अन्‍यथा यदि आप केवल कोई एक ही काम जानते होंगे तो कभी भी आपको फिल्‍म का डायरेक्‍टर नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए इसके लिए आपने कोई भी कोर्स किया हो। पर जब आप फिल्म के अंदर काम करने जाएं तो इस बात को समझने की कोशिश करें कि कैसे हर विभाग के लोग अपना काम बखूबी कर रहे हैं। समय के साथ आपको खुद पता चल जाएगा कि फिल्‍म डायरेक्‍टर आप कब बन सकते हैं।

कोर्स की फीस?

फिल्‍मों से जुड़े किसी भी कोर्स की फीस काफी ज्‍यादा होती है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि यदि आप छह महीने का कोई डिप्‍लोमा कोर्स भी करने जा रहे हैं तो उसकी फीस भी एक लाख तक हो सकती है। इसलिए अपने कोर्स और संस्‍थान का चुनाव सोच समझकर करें।

क्‍या बिना कोर्स किए फिल्‍म डायरेक्‍टर बना जा सकता है?

इसका जवाब भी हां ही है। क्‍योंकि फिल्‍म के अंदर काम करने के लिए आपके पास कागज से ज्‍यादा काबिलियत होनी चाहिए। इसलिए यदि आपको लगता है कि आप फिल्‍म के डायरेक्‍टर बन सकते हैं। तो आप अपनी एक टीम और एक कहानी बनाइए और अपने फोन की मदद से उसे फिर शूट कीजिए।

यदि आपकी कहानी में वाकई दम होगा तो लोग उसे सोशल मीडिया पर खूब पसंद करेंगे। इसके बाद वो समय जल्‍द ही आ जाएगा जब आपसे लोग संपर्क करेंगे और कहेंगे कि आप हमारे साथ मिलकर काम कीजिए। लेकिन यदि आप इससे जुड़ा कोर्स कर लेते हैं तो आपको फिल्‍मों में सीधा मौका मिल सकता है।

कहां कहां मिल सकता है काम?

आज के समय में फिल्‍मों का काम बहुत विस्‍तार पकड़ चुका है। इसलिए यदि आपको फिल्‍म में काम नहीं मिलता है तो आप विज्ञापन, टीवी सीरियल, टी शो, यूट्यूब विडियो आदि में आकर भी अपना करियर बना सकते हैं। बस शर्त ये रहेगी कि आपको अपने काम का सही तरीके से ज्ञान होना चाहिए। जिससे आप काम नहीं, काम देने वाले लोग तलाशते रहें।

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सैलरी और शुरूआत कैसे करें?

आपने फिल्‍म में आने के लिए कोई भी कोर्स किया हो। इसके बाद आप ऐसे लोगों से मिलिए जो फिल्‍म की लाइन में पहले से काम कर रहे हैं। उन्‍हें अपने बारे में बताइए। आप जो कुछ कर सकते हैं। उन्‍हें उसके बारे में जानकारी दीजिए। बस यदि उन्‍हें आपका काम पसंद आएगा तो आपसे वो लोग खुद ही संपर्क करेंगे।

जबकि यदि हम आपकी सैलरी की बात करें तो यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप जहां काम कर रहे हैं उसका बजट कितना है। आपको वहां क्‍या जिम्‍मेदारी दी गई है। लेकिन आपका वेतन कम से कम महीने का पचास हजार हर हाल में होगा।

कुछ ध्‍यान रखने योग्य बातें

  • फिल्‍म के अंदर आज के समय में काम मिलना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। इसलिए इस लाइन में आपको सोच समझ कर ही आना चाहिए। खास तौर पर उन लड़कियों को जो समाज में अच्‍छे बुरे से परिचित नहीं हैं। क्‍योंकि फिल्‍म में लड़कियों को सबसे ज्‍यादा नग्नता दिखाने के लिए ही रखा जाता है।
  • फिल्‍मों में आने के लिए कोशिश कीजिए कि आप किसी बड़े संस्‍थान से ही अपना कोर्स पूरा कीजिए। क्‍योंकि इसके बाद आपको काम तलाशने में परेशानी नहीं उठानी पड़ती है।
  • यदि आप सिर्फ लोकप्रिय होने के लिए फिल्‍मों में आ रहे हैं कि आप एक दिन हीरो बन जाएंगे। तो यह आपकी सबसे बड़ी भूल होगी। क्‍यों‍कि हीरो कौन बनेगा यह उस इंसान के पर्दे के पीछे रहकर किए गए काम से ही तय होता है।
  • यदि हम मुम्‍बई की बात करें तो वहां हर साल जितने लोग काम की तलाश में आते हैं। उससे कहीं ज्‍यादा निराश होकर चले जाते हैं। इसलिए फिल्‍म में आने से पहले आपको अपने जीवन का हर पहलू अच्‍छे से देख लेना चाहिए। ऐसा ना हो कि आप संघर्ष में बीच में ही टूट जाएं।

Conclusion

आशा है कि अब आप समझ गए होंगे कि Film director kaise ban sakte hain, फिल्म डायरेक्टर कोर्स कौन से हैं। इतना सब जानने के बाद आप आसानी से तय कर सकते हैं कि आपके लिए कौन सा कोर्स और कहां का संस्‍थान बेहतर होगा। जहां पढ़कर आप अपना फिल्‍म डायरेक्‍टर बनने का सपना आसानी से पूरा कर सकते हैं।

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नमस्कार दोस्तों, मैं रवि "आल इन हिन्दी" का Founder हूँ. मैं एक Economics Graduate हूँ। कहते है ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता कुछ इसी सोच के साथ मै अपना सारा ज्ञान "आल इन हिन्दी" द्वारा आपके साथ बाँट रहा हूँ। और कोशिश कर रहा हूँ कि आपको भी इससे सही और सटीक ज्ञान प्राप्त हो सकें।

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